बिरानी
अग्निवंशीय पोवार आमी,राजा भोज की कड़ी।
रीति रिवाज चलत आय रहया सेति पेढ़नपेढी।।
देवीदेवता का प्रकार सेती तेत्तिस कोटि।
कण कणमा आमला सब देव दिस सेती।।
गुरु दून महान आपला वाडवडील आती।
मनमा आमरो उनको प्रति श्रद्धा से मोठी।।
मरे पर स्वर्ग मा जासेती असो से ज्ञान।
उनकी इच्छा पुराव् सेत वंसज याहान।।
चवरी परा वाडवडिल रवसेत विराजमान।
सणदिनला चवरी परा बीरानी टाकसेत पोवार।।
बिरानी त उत्तम से बात पूर्वज ला करणों याद।
पर कान खोलकर आयकलो मोरी सब बात।।
माता पिता की सेवा उनको जितो परा करो।
मरे पर उनको, तुमि सोंग धतूरा नोकों करो।।
पर याद मा उनकी चवरी की मानता करो।
साल भरमा पांचबार कागुर बिरानि तुमि करो।।
संस्कार असा तुमि आपलो बेटा बेटी पर करो।
पूर्वज ला याद करन की अनमोल गठोड़ी सोडो।।
- सौ छाया सुरेंद्र पारधी
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