मी बी राधा बन जाऊ
बंसी बजय्या, रास रचय्या
गोकुलको कन्हैया लाडको
नटखट नंदलाल देखो
माखनचोर नाव से यको!!१!!
मधुर तोरो बंसीकी तान
भूलसेती गोपी देहभान
गाई आयी धावत धावत
गोपाल गोकुळका बेभान!!२!!
घन निळो कान्हा गिरधारी
सावळी सुरत लगे प्यारी
बन्सीधर गोपाल मुरारी
रूपपर जाऊ बलीहारी!!३!!
राधा तोरो संगमा रवसे
मन मोरो पागल कवसे
बन जाऊ मिठी बन्सी तोरी
मनमा तोरो ध्यान रवसे!!४!!
राधाराणी सुंदर, सलोनी
ओको सरिखो प्रेम मी पाऊ
जन्मजन्मातर साती कान्हा
मी बी राधा बन जाऊ !!५!!
सौ छाया सुरेंद्र पारधी
विषय - कृष्ण ना गोपी
गोकुल ल् मथुरा बजार मा
गोपी जासेत दही, दूध बिकन,
रस्तामा कृष्ण ना वोका सखा
लूटसेत दूध, दही अना माखन.
गोपी ठेवसेत घर सिकोपर
दही, दूध, लोणी लुकायकर,
आपल् सखाइन संग कृष्ण
खासे दही, दूध चोरकर.
कृष्ण रचावसे रासलीला
गोपीइन संग शरद पूर्णिमाला,
रातभर नाचसेत गोपी-कृष्ण
चांदा बरसावसे अमृत पूर्णिमाला.
जमुना किनार् बजावसे बांसुरी
कृष्ण चरावत् चरावत् गायीइनला,
गोपी होय जासेती पूर्ण मोहित
आयककन् बांसुरी क् मधुर धुनला.
असा बहुत किस्सा सेत
गोपी कृष्ण का गोकुलमा,
अज बी वोतराच लगसेती
मजेदार किस्सा कहानीमा.
. . . . . . . . . . . . चिरंजीव बिसेन.
. . . . . . . . . . . . . . . . . गोंदिया
कृष्ण अना गोपी
बोल बावरी या राधा
(अष्टाक्षरी रचना)
हात जोड़ कानूबाला
बोलं बावरी या राधा |
दूर कर नंदलाला
तोरी छेड़नकी बाधा ||१||
दही अना दुधलाई
मटकीला फोड़ंसेस |
आंग धोवनको बेरा
वस्त्र काहे चोरसेस ||२||
नोको अड़ाऊस कान्हा,
येनं नंदनबनमा |
भेव लगसे रे तोरो
मोरो नाजूक मनमा ||३||
देखकर गोपीइंला
करसेस खूब चाळा |
कृष्ण तोरो पिरमका
फेकू नोको असा जाळा ||४||
बंद कर नंदलाला,
छेडनका हे बहाना |
सांगबीन यशोदाला
आमी तोरा हे गऱ्हाना ||५||
इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया*
मो. ९४२२८३२९४१
कृष्ण अना गोपी
गाव बिकोना
गोपी को नंदलाल मुरारी
राधा चली मथुरा बजारं
रव्ह संगमा तब मावशी
धरके डोईपर घागरं।।१।।
मथुराको राजा कंस मामा
व्यभिचारी भी दृष्ट कहोना
दुध दही काहे बजारमा
हेतू आपलं गाव बिकोना।।२।।
जेकं घरमा शेकडो़ गायी
दुध दहि ला कामे मनायी
परं माखन चोर उपाधी
असो सबको कृष्ण कनायी।।३।।
गोप गोपिको नंदलाला
वृंदावन मा -हास रचायो
यमुनाकं तट पर काला
बंसरीवालो मनमा समायो।।४।।
""जय राजा भोज जय माँ गड़काली""
वाय सी चौधरी
गोंदिया
कृष्ण अना गोपी
अष्टाक्षरी
गोपी चली ठुमकत
माखन हंडीमा धर
कृष्णन फोडीस हंडी
दही बह झर झर!!१!!
गोपी कसे कन्हैयाला
देऊन माखन तोला
बंसी बजाव मधुर
अना नाचन दे मोला!!२!!
कृष्ण की गोड बासुरी
तन मन मोह लेसे
कृष्ण को प्रेमजालमा
मंग गोपी थिरकसे!!३!!
राधिका देखसे सब
कृष्णगोपीकी या लीला
गोपीका को गुस्सा झूठो
मनमा से नन्दलाला!!४!!
चोरसे गोपी का वस्त्र
कभी रस्ता अडावसे
नन्दलाल गोपिकाला
मधुबनमा छेडसे!!५!!
मारकर पिचकारी
करसे गोपिला ओली
ब्रिन्दाबनमा कान्हाकी
गोपिसंग रंगी होली!!६!!
स्वप्नाली ठाकरे
No comments:
Post a Comment