साहित्यिक
सौ.वर्षा विजय रहांगडाले
पतीःविजय मनिराम रहांगडाले
दुय टुराःमिहान,पार्थ
मु.पोस्ट बिरसी,ता.आमगांव, जिल्हाःगोंदिया
बाबुजी को नावःश्री.योगराज गोदिराम पटले (कास्तकार,जोडधंदाःइटाभट्टी)
आईको नावःदुर्गा पटले(ग्रूहीणी)
भाई -सतिष योगराज पटले(अभियंता)
जन्मगांवःसालेकसा
जन्म तिथीः१६/०७/१९८९
शिक्षणःडी.एड. बी.ए.एम.ए.अपीयर
व्यवसायःशिक्षिका/ग्रूहीणी
मोरा छंदःवाचन (कादंबरी बाचन को छंद) ,काव्यलेखन,नवीन पदार्थ बनावनो.
विशेष छंदःपोवारी,मराठी, हिंदी काव्य लेखन,लेकरून संगमा लेकरु होयके खेलनो,उनला आपलो बचपन की बात अना उपादी किस्सा रंगायके सांगनो,पोवारी की हास्यकविता,चारोळी जुगलबंदी.
किताबःचारोळी संग्रह(काव्यवर्षा)
अनेक व्हाट्स अप समुह मा काव्यलेखन,चारोळी लेखन,स्पर्धा का आनलाईन सहभाग प्रमाणपत्र,पोवारी को उत्कर्ष अना उत्थान साठी तत्पर.
खुदको जीवनपटः मी पहिली टुरी.मंग भाई भयेव.पर मी आईला बहुत तरास देत होती मुन मोला दुय साल को उमर माच मामा गाव म्हणजे बडद.पी.डी.रहांगडाले इनको गाव लिजाईन.बडद यव पोवारबहुल अना बडो शिक्षीत गाव. गाव मा मोरो बचपन अना दसवी वरी शिक्षण भयेव.बचपन मा मी बडी उटपटांग काम करनो मा माहिर.चौथी वरीत मास्तर अना लेकरुबी पोवार काच म्हणून इश्कुल मा बी पोवारी कोच बखान.
कविता लिखन को छंद मोरा वर्गशिक्षक शहारे सर इनको कारण मोला इयत्ता आठवी पासुनच कविता लेखनसाठी प्रेरणा मिली.मंग डायरी मा आपली कविता उतरावत होती.डी.एड करतांनी टीचर अना विद्यार्थी पराच कविता लिखनको.२०१० मा बिया भयेव. मंग जरा घर संसार मा उलझ गयी.भरेव घर काम जादा वोकोमाच.मंग खुद का छंद,आवड निवड येको कर जरा दुर्लक्ष भयेव.पर चार साल पासून आनलाईन जमानो को कारण व्हाट्स अप समुह मा मी रनदिप भाऊ बिसने इनको कारण जुडी अना मोरो कविता लेखन ला उडान भेटी.
पोवारी बोली भाषा को आपलो कविता को माध्यमलका कार्य करनको मौका मिलेव.
अखीन पुढ बी असीच साहित्य सेवा घडत रहे याच माय गढकालिका को चरण मा प्रार्थना से .
सौ.वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी
स्वागत स्वागत
झाडी बोली की बहीणाबाई
आमगाव बिरसी मुक्काम
सबकी चहती साहित्यिका वर्षाबाई
शिघ्र कवियत्री
तडफदार लेखनी
घर संसार, स्त्री जीवन की
मांडसे दुखनी
लेखन,बाचन
स्वभाव से हसरो
मराठी, हिंदी संगमा
टाकसे पोवारी बिसरो
चलो सब जन
उठावो लेखनी
ऋण साहित्यिक गण को
बनावो देखनी
शेषराव येळेकर
ऋण साहित्य गणको ------ सौ. वर्षा राहांगडाले
(चाल-- देहाची तिजोरी)
कहां कहां देखु मी- देव नही भेट।
ऋण साहित्यिक को फेटे, लका नही फीट।। धृ।।
वर्षा बाई सारखी टूरी, सबला देजो देवा।
सुरेख,गुयवान, ज़सी, सब करैती हेवा।।
झटपट चल लेखणी,ज़सी मोबाईल की कीट।।१।।
बाप योगराजजी पटले,माय दुर्गा बाई ।
गाव सालेकसा जन्म भएव ,सतीस भाई ।।
बीह्या भएव,बीरसी आयी,चढ सांसारिक घाट।।२।।
पती विजय राहांगडालै,जीवनको आधार।
वर्षाबाई शिक्षीका ना घर कामला हातभार।।
मिहान ना पार्थ दुय टुरा,गुणवान सेती पोट।। ३।।
सुसंस्कृत, सुखी परिवार,मायबोली की आस।
कथा,कादंबरी, साहित्य ,बाचन को से द्यास ।।
लेख,काव्य,चारोळी लिखन,लेखणी चले झटपट।। ४।।
पोवारी को उत्थान करनकी तळमळ लगी।
गडकालीका माय की भक्ती मनमा जागी ।।
आधारस्तंभ से पोवारीको, ना पोवारीच थाट।। ५।।
डी पी राहांगडाले
गोंदिया
राम लखन सारखो टुराइनकि आई
नाव से इनको वर्षा बाई
जसी से साजरी इनकि लेखनी
तसी दिसनला सेती हे देखनी
सब जन कि चहेति कसेत इनला वर्षा
साहित्यिक मनुन से इनकी चर्चा
संसार को गाडो चलावत लेखन करसेती
पोवार समाज को मान बढ़ावसेती..
स्वप्नाली दुर्गेश ठाकरे
साहित्यक का ऋणी
वर्षा बाई पटले/ रहांगडाले
आयी - आयी आता वर्षा बाई
की बारी,शब्द ला शब्द जोड
कर कविता कर से त भारी
अशी आम्ह्र री आज की
साहित्य की सुशील,सुंदर
वर्षा बाई|
आयी - आयी बचपन की चूल - बूली वर्षा बाई||
ऊच शिक्षण, साधो भोळ रहन
शिक्षण को प्रती उच विचार
पहणकर मराठी परिधान,ठेव
शेती आप्लो संस्कुर्ती को मान
झलक दिस से ईनको लेखणी
मा बहिना बाई को आज|
आयी - आयी बचपन की चूल - बुलि वर्षा बाई||
घर संसार चला व शेती आपली
सब जबाबदारी पूर्ण कर
साह्यार,लॉक डाऊन मा बना व
शेती नव नवीन पकवान.
,लेखन,वाचन को छंद लक
बनी शेत पोवार समाज की
बहीना बाई आज|
आयी - आयी बचपन की चूल बुली वर्षा बाई||
अशो च कविता की बारिश
होन देव बाई,करोआपलो कविता
काव्य लेखन लक पोवारी को
गुणगान, अशी सहित्की वर्षा
बाई ला शत- शत प्रणाम|
आयी - आयी बचपन की चूल - बुली वर्षा बाई||
Chandrakumar sharnagat
Hero Moto corp Gurgaon
( हिरो होंडा)
सौ वर्षा पटले रहांगडाले
रिमझिम आई वर्षा साहित्य की
कविता, कथा, कहानी फूटी।
गढ़कालिका को हाथ सिरपर
सरिता काव्य की धावत सुटी।।
योगराज पिता दुर्गा प्रेमळ माय
सालेकसा जन्मभूमी कहलाय।
वर्षा अना विजयकी जोड़ी अनुरूप
आमगाव बिरसी कर्मभूमी आय।।
शिक्षण, साहित्य, घरदार की धुरा
चारोळी जुगलबंदी आवळतो छंद।
मराठी की कविता लिखसे बेधुंद
मन रमसे पोवारी लेखणमा स्वच्छंद।।
कविता फुट्सेट जसा लाई चना
हास्य कविता की बातच बिचारोना।
जीवन को अनुभव हासत सांगसे
सजावसे साहित्य को कोना कोना।।
असिच घड़ो पोवार साहित्य की सेवा
आवने वालो पिढ़िला मिले येव मेवा।
माता गढ़कालिका को सदा रहे हाथ
शतआयुषी हाेजो वरदान दे महादेवा।।
सौ छाया सुरेंद्र पारधी
सिहोरा
आमरी वर्षा बाई बडी गुणी,छंद वाचन को.२सालको उमर मा मामा घर बळद मा रही.वहाच बचपन अना् १० वी शिक्षण भयेव .वषाॅबाई बडी बचपन मा उटपटांग काम करत, तसीच बहुत हूशार १० वी पयॅत वगॅ मा पहीलो नंबर को बाई ठेकाच होतो.
गाव की भाषी आयत सब माफ करत,कोणी चिल्लात नव्हता. शारदा नाव की जीवलग सहेली तसीच रिस्तामा मावशी लग,संगमाच रवत नाटक मा भी टूरा-टूरी को रोल करत .एक बार त लंबा केश काट देईश पन एक फायद की टूरनामेंट जिल्हा मा पहीलो नंबर आयव.फक्त वषाॅबाई भिवत मोठ्ोवाडा को बडी़मीयला. अना् शारदाबाई संग बगीजामा का आंबा-जांब तोडके आनत.फक्त इतवार को दिन जास्त खेलत तसोच बोर बेचन जात. आपलो लहान मामू ला म्हणजे देव भाऊला भिवत तसीच बम्हामामूला भिवत . असो करता -करता बचपन बित गयव .मग नागपूर मा मामूनच डी.टी.एड शिक्षण भयव . मग विजय भाऊ संग बिह्या भयव आपलो घर संसारमा लगी.
ऋण साहित्य गण को
शोधुसु मी शब्द सहित्यिका को सन्मान मा,
ऋणी से समाज उनको विश्वास से मायबोलि मा।
ज्येष्ठ पुत्री श्री योगराज पटले कि,दुर्गा माता ,
सतीश पटले आय् भ्राता काम् से अभियंता।
पोवारी,हिंदी,मराठी काव्य लेखन को मिलन ,
साहित्य संस्कृति ना शिक्षण को अनुपम संगम।
माहेर सालेकसा, बिर्सि सासुरवाडी,
शिक्षण भयेव वडद लका कशी या घटना घड़ी।
विजय भाऊ कि नैनुलाई,पार्थ-मीहान कि माई,
अशी उपाधि प्राप्त से राहांगडाले गुणी बहुबाई।
सुशील, गुणी, उत्तम् शिक्षिका को मान,
उच्च शिक्षण से तरी सभ्यता को भान,
गृहिणी भी साजरी,लेकरू को संग
खेलसे माय माऊली गोजरी।
नवनवीन पाहुनचार रांदनको सवाद,
बचपण का उपादि धंदा आवसेत् याद।
शाहरे मास्तर कि प्रेरणा कविता को छंद,
संसार रूपी जीवन जगता गुण विशेष भयेव् मंद।
गढकालिका माय को आशिर्वाद् पोवार् समाजसिन भेटी, दुबारा छंद जोपसनकी संधी लाभी,
पोवारी उत्कर्ष साठी सेती तत्पर बड़ी,
साहित्य सुंदर लेखनी मेहनत बहुत कडी।
स्वप्नाली दुर्गेश ठाकरे
वर्षा बाई पटले- रहांगडाले
जसो धरतरी मायको साज चढावसे
मीरुगअरदळा नक्षत्र की वर्षा
तसो साहित्यलका पोवारी सजावसे
कवयित्री आमरी बडीबाई वर्षा
चलावसे लेखणी बेधुंद होयकन
लिखसे कथा कविता चारोली
बहुगुणी कवी कल्पना की धनीसे
आमरी वर्षा बाई बिरसीवाली
नवो बिचार नवी कल्पना को साज
सदा रवसे वक् पोवारी साहित्यमा
पोवारी उत्कर्ष को सपन देखत रवसे
सदा पोवारी साहित्यकारोंक दिलमा
घरसंसार संभालकन लिखत रवसे
जसी लगसे तार परकी कसरत
सहनशीलता वक् मनमा बसी से
सदा लिखत रवसे करत रवसे मेहनत
आमरी वर्षा बाई से
कला गुणकी खाण
पोवारीमा लिखो कसे
करो कसे पोवारी धनवान
डॉ शेखराम परसराम येळेकर नागपूर
६/५/२०२१
वर्षाबाई
सालेकसा मायभूमी जेकी
बिरसी आमगाव ससुराल
बडद मां गयेव् बचपन
नागपूरमा डिएड दुई साल...
योगराज दुर्गाबाई पोटी
जलम लेईस गुणी लेक
हुस्यार से बाई आमरी
रिस्ता निभावन मा नेक...
उटपटांग चुलबुली
वरक् वोकी न्यारी
डिएड मां बी चमकी
बाई की हुस्यारी...
शब्द परा प्रभूत्व भारी से
मराठी हिंदी ना पोवारी
ईव चारोली बनयदेसे
कल्पना की बी सवारी....
रोम रोम मां बह रही से
पोवारी को वु रूधिर
कब् करूसु कविता
येकोसाटी बाई से अधिर...
लव कुश सरिखा सेती
बाई का दुई सुकुमार
राम सीता सी जोडी से
गृहकर्म मां बी सुमार....
भाऊ भरातार सेती तंत्रज्ञ
बाईला रूचि से शिक्षण
टुरूपोटु संग रम जासे
शाळा मां देसे प्रशिक्षण ....
गुणी कला प्रेमी सुगरण
वर्षाबाई सेती अष्टपैलु
नवानवा व्यंजन करसे
लसन प्याज देवो का आलू....
माय सरस्वती को वर से
गडकालिका माय को हात
शुरवीर बी से वर्षाबाई
धीटाईलक् करसे जी बात....
पोवारी प्रतिभा की स्यान से
वर्षाबाई से बुहु गुणवान
नवानवा आयाम जोडन्
बाई सेती जी प्रतिभावान...
घर संसार संभालकन
गुण संस्कार को दर्शन
तालमेल राखसे बाई
बढाई को नही प्रदर्शन.....
माय गडकालिका खूस रखे
वर्षाबाई रहो स्वास्थवान
मन की मुराद पुरी होये
प्रार्थना करसेज् भगवान...
रणदीप बिसने
ऋण साहित्यिक को सौ. वर्षा पटले/ रहांगडाले
दि. ०६.०५.२०२१
चारोळीकार
मायबापकी सोनपरी तू
जीवन साथीकी छाया
टुरूपोटूको व्यासंग संगमा
पढन लिखनकी माया ||१||
नदी समान से जीवन तोरो
खळखळ बहती धारा
नाना अडचण दर्द छिपावत
ढुंढे सुखको किनारा ||२||
मराठी हिंदी पोवारीमा
साहित्य संवर्धन
तोरो छंद खमंग बनावनो
गाव चुल्हो को व्यंजन ||३||
चारोळीमा मातब्बर तू
पसंद की जुगलबंदी
गद्य पद्यमा हास्य व्यंगकी
रचना तोरी स्वच्छंदी ||४||
बचपन बितेव मामा गावमा
उटपटांग 'ना उपादी
पोवारीमा तोला शोभं
"चारोळीकार" की उपाधी ||५||
बोलीकी सेवामा तोरो
कलाकी होये ' वर्षा '
अनुकरण करके आमी बी
होबिन तोरो सरसा ||६||
डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे "प्रहरी"
डोंगरगांव /उलवे, नवी मुंबई
मो. ९८६९९९३९०७
कवयित्री सौ. वर्षाबाई पटले राहांगडाले
काव्य प्रकार : गीत
वर्ण संख्या : १२
वर्षाबाईजीकी आयको कहानी |
सांगुसु तुमला मी मोरो जुबानी ||धृ||
सालेकसा मा संपन्न परिवार |
योगराज पटले की दुर्गा नार ||
इनको पोट जनमी वर्षा रानी |
सांगुसु तुमला मी मोरो जुबानी ||१|| वर्षाबाई...
भाई को जनम नही आयो रास |
आई ला देन लगी वर्षा तरास ||
रोव वर्षा वळद जानको घनी |
सांगुसु तुमला मी मोरो जुबानी ||२|| वर्षाबाई…
वळद मामा को गाव बचपण |
वहां भयो दसवी वरी शिक्षण ||
लिखनो पड़नो मा होती शहानी |
सांगुसु तुमला मी मोरो जुबानी ||३|| वर्षाबाई…
आठवी पासुन कविता को छंद |
बिह्याको बादमा भय गयो बंद ||
शहारे सर लका प्रेरणा बनी |
सांगुसु तुमला मी मोरो जुबानी ||४|| वर्षाबाई…
लव कुश सम दुय सुकुमार |
शिक्षिका संग गृहिणी बी सुमार ||
अभियंता विजय पती से गुनी |
सांगुसु तुमला मी मोरो जुबानी ||५|| वर्षाबाई…
पुन्हा लिखन बसी बाई कविता |
कसोतंत्र मा जुळसे वा न भिता ||
रणदीप भाऊ की मेहरबानी |
सांगुसु तुमला मी मोरो जुबानी ||५|| वर्षाबाई…
पोवारी, मराठी, हिंदीकी कविता |
लिखसे या बाई ज्ञान की सरिता ||
लेखनी ओकी बहिणाबाई वानी |
सांगुसु तुमला मी मोरो जुबानी ||६|| वर्षाबाई…
बाई की कविता कसे गोवर्धन |
पोवारी बोली को करे संवर्धन ||
खतम करुसु बाई की कहानी |
सांगुसु तुमला मी मोरो जुबानी ||७|| वर्षाबाई…
इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया
मो. ९४२२८३२९४१
दि. ६ मई २०२१
पोवार इतिहास साहित्य अना उत्कर्ष को आभार
झाडीबोली की बहिणाबाई कयके
मान बढाईन शेषुभाऊन समुहमा
शिघ्र कवयित्री उपमा देयके
मान देईन मोला साहित्यमा
राम लखन की माय
रूप की मोरो प्रशंशा
स्वप्नाली दीदीको आभार
बाई मी रहांगडाले वर्षा
रहांगडाले काकाजी को आशिष
सदा रव्हसे मोरो कपाल पर
गुणगान गायके उद्धार करीन अज
आधारस्तंभ मोला कय कर
छाया दिदी मोरी मोठी बहिण
करसे मोरोपर बहुत माया
रिमझिम वर्षा साहित्य की आयकके
मन धन्य भयेव अना पावन भयी काया
चुल बुली मी बचपन की
याद देवाईन चंद्रकुमार मामाजीनं
मराठी पेहेराव मा संस्कृती
साहित्यक्षेत्र मा सजाईन
ज्योती मावशी मोरी हासरी
बचपन बितेव उनको गावमा
बचपन की याद ताजा करीन
लहान भयी अज यहा समुहमा
रनदिप भाऊ मोरा गुरवर्य
कसेत शब्द परा से प्रभुत्व भारी
हमेशा मोला पाठींबा देयीन
मी सेव उनकी बहुत आभारी
बेधुंद लेखनी को साज
अज भेटेव मोला समुहमा
शेषुभाऊ तुमरो आभार
मानु कसी मी शब्दमा
चारोळीकार,सोनपरी मायबापकी
कसे मोरो मोठो भाई प्रल्हाद भाऊ
वारसा असोच चले पोवारीको
भाऊ तु मोला आसमंत नोको चढाउ
गाण कोकीला नं अज मोरो
ह्रदय गदगद कर देईस
मोरो जीवनपरकी काकाजी की कविता
आयकके डोरा पाणी भर देईस
गोळ कढी की लालची कसे
लहान भाऊ मोरो फनेंद्र
रूप देखके शरमाय जाये
स्वर्गमाको देव इंद्र
संवर्धन करन पोवारीको उतरेव
भाऊ मोरो बिसेन गोवर्धन
आपलो जुबानी मोरी कहाणी सांगीन
करूसु उनला मी त्रिवार वंदन
सौ.वर्षा पटले रहांगडाले
गोंदिया
सौ.वर्षाताई रहांगडाले
पोवारीको वर्षाव
शब्दशब्दमा होसे
वर्षाताई सुंदर
पोवारी बोलसे।।
नटखटपण बालपणमा्
बुद्धिमत्ताच रवसे
ज्ञानसाठी धडाडीच
कामी आवसे।।
घरकामसंग अध्यापन
मोठो सुंदर काम से
पोवारीबोलीकी सेवाबि
समाधानकारक से।।
वाचो कादंबरी, मोठा ग्रंथ
भरो मन अनुभवलका
साहित्य नवो सृजन करो
नइ दृष्टिलका ।।
विजयजीको साथ से
से आसिस बाबुजीको
प्रतिभा बहरे जीवनमा्
नाव चमके मायको।।
शुभेच्छा सेती आमरा
हार नोको मानो
संस्कृती से महान आमरी
गुणगान राजा भोजको।।
पालिकचंद बिसने
सिंदीपार (लाखनी)
वर्षा ताई राहांगडाले
सांगु मी तुमला वर्षा बाई की काहानी
जे सेती शिकक्षीका, लेखिका, ग्रुहीणी।
योगराजजी ना दुर्गा बाई की टुरी
कविता लिखसेती खुप भारी।
अशी वर्षा बाई होती हुशार
डी एड. बी ए.एम ऐ. करीन पार
बिया होयके उलझी घर संसार मा वय
दुर्लक्ष भयव तरी नही सोडीन कवीता की लय।
लहानपण पासुन होतो कविता को छंद
पोवार समाज मा फैलाइन सुंदर साहित्य को गंध
करसेती पोवार साहित्य को उत्थान
मार्गदर्शन इनको बनाये आमला महान।
कु.रानु राहांगडाले
आज की कवियित्री - वर्षा रहांगडाले
सालेकसा की राजकुमारी
वळद मा भयी शाहणी,
बिह्या भयेव क् बादमा
आमगाव बिर्सी मा बनी रानी.
अजी योगराजजी रहांगडाले कास्तकार,
जोडीला मुहून ईटभट्टा को धंदा,
वर्षाबा़ईला शिकायकर करीन शाहणी
जोडीदार भेटेव विजय रहांगडाले सरीखो बंदा.
काव्य की वर्षा होसे उनक् लेखनील्
पोवारी, हिन्दी, मराठी कविता, गीत, चारोळी,
जंगल एरिया मा बचपन मा उनन् खाईसेन
चार, बोर, ढिक, येरोनी ना बेहळा की आठोळी.
मिहान ना पार्थ दुय टुरा सेती
राम लक्ष्मण वानी सुंदर,
काव्य मा उनक् समाय जासे
'घागर मा सागर' वानी समुंदर.
- चिरंजीव बिसेन
गोंदिया
आज की कवियित्री - वर्षा रहांगडाले
मोरी बहिन लाडकी
गुणवान वर्षाबाई
लाडलक सबजन
कव्हसेत येला ताई
मायबाप मेहनती
स्वप्न करीन साकार
शिक्षा पेरके घरमा
वोला देयीन आकार
मामा घरका संस्कार
वर्षाताई पर भया
देखो कलमकी धार
सब करसेत मया
रोज साहित्य सृजन
अना रोजकोच काम
सदा मुखमा बसीसे
राजाभोज, प्रभू राम
मिले तोला बहू किर्ती
आशिर्वाद यव देसू
अशी बहिन देनला
देवा धन्यवाद कसू
महेंद्रकुमार ईश्वरलाल पटले(ऋतुराज)
ता. ०६/०५/२०२१
वर्षा
वर्षा, वर्षा बरसावसे
जसो गंगा को पाणी
साहित्य सिवारमा गुंज
तोरो लेखनीकी वाणी ||
हास्य कविता खिलावसे
बगिचाकी हर कली
जुगलबंदीमा हमेसा
कल्पक रवसे चारोली ||
बहु किर्ती की तू धनी
माय ,मामा घरकी परी
दुय बेटा की अक्षय प्रित
गरोकी सोनोकी सरी ||
वंदना कटरे
अज की साहित्यिका :- सौ.वर्षा पटले राहांगडाले
झाडीबोली की बहीणाबाई
पोवारी की शान
वर्षा बाई ला मिली से
मा वाग्देवी को वरदान
मामा घरं पली फूली
उपाधी इनका काम
हर चीज को लगावत होती
उल्टा पुल्टा दाम
आठवी पासून छंद
लिखत होती कविता
पोवारी, मराठी, हिंदी
बहत गई सरिता
स्त्री जीवन को अभ्यास
व्यथा की से जान
गरीब,अमीर, किसान
सबकी से पहचान
सब विषय की हाताळणी
सेती शिघ्र कवियत्री
दुःख,दर्द, संस्कार धरकन
उभी करसे एक स्त्री
अष्पपैलू व्यक्तिमत्व
राबसे कंबर कसकन
परिवार पासून समाज
सबको जपसे मन
काव्य वर्षा चारोळी संग्रह
हजारो रचना की धनी
श्री योगराज पटले की टुरी
विजय भाऊ घरकी गृहिणी
मिहान,पार्थ की माय
राहांगडाले परिवार पर छाव
सालेकसा,बळद,बिरसी
असा तीन ओका गाव
हास्यकवीता लका हसाय
जुगलबंदी मा हातखंडा
उपादी किस्सा रंगाये
शब्द शक्ती को दंडा
गृहिणी संग शिक्षीका
जीव्हा पर सरस्वती
शब्द शब्द की माला गुंफे
चंपा चमेली सेवंती
घर मा से सुगरण
समाज शिक्षीका
ऋषी तुल्य जीवन
तोडे सब बाधिका
अनेक वाट्स अप गृपमा
वर्षा बाई को झेंडा
वर विषय ला पकडे
बहूआयामी हातखंडा
भारत की बेटी या
योको से सबला गर्व
खुदको बलपर उभी
खुशी बने रहे हर पर्व
प्रवास से निरंतर
असीच हसत रव
तोरो सृजनकार हातलका
वातावरण मा चेतना आये नव
शेषराव येळेकर
दि. ०६/०५/२१
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