Sunday, May 2, 2021

श्री डी पी रहांगडालेजी

 
साहित्यिक को परिचय
मी डी. पी. राहांगडाले  से. नि. नायब तहसीलदार गोंदिया. 
मुल गाव बरबसपुरा ता. तीरोडा जिल्हा गोंदिया.
जन्म तारीख 16/12/1952. अठरा साल पाच महीनामा 11/5/71 ला  मोरो बीह्या भएव तब मी अकरावी मा शिकत होतो. ओक बादमा  बी. ए.
 डीप-एड. को शिक्षण पुरो करेव. 1977 मा ग्राम पंचायत बरबसपुरा मा निर्वीरोध  *सदस्य* बनेव. 1979 
मा *अर्जीनमीस* की लायसन्स भेटी. 1980 मा लिपिक 
पदपरा तहसील तुमसर मा नोकरी परा लगेव. शासन की सेवा करता करता *पदोन्नती होताहोता नायब तहसीलदार    क पदपर लका डिसेंबर 2010 ला सेवा निवृत्त भएव. ओक बादमा 2012- 2017 यंन कालावधी मा ग्रा. पंचायत बरबसपुरा मा नीर्वीरोध  *उपसरपंच* मनून  सेवा देयेव. 
             मी पुरो जीवन निर्व्यसनी ना शाकाहारी जग रहि सेव.* मोला पहेले पासूनच  डंडार, ड्रामा *कथासार गोंदळ*  ना *भजन*  *कीर्तन* को छंद से. जबपासुन पोवारी इतिहास साहित्य अना उत्कर्ष मा जुळी से तब पासून पोवारी समाजको उत्थान साठी कार्यरत रहुसू.* एन ग्रूप करलक बहुत मानसन्मान ना खुप सारा प्रमाणपत्र भेट्‌यासेती.
        पएले मराठी,हिन्दी माच कीर्तन का कार्यक्रम करत होतो पर यंदा *पोवारी मा भी कीर्तन भया.*
अलगलग विषय परा लेख लेखन,कविता,पोवारी प्रस्नोतरी,अलगलग चाल परा पोवारी गाना मा विशेष रुची से. आपलो समाज ना मायबोली को प्रचार, प्रसार करनकी खुप इच्छा से. ना ओक साती सतत प्रयत्नशील सेव.
   
डी. पी. राहांगडाले 
   गोंदिया

साहित्यिक
आदरणीय डी. पी रहांगडाले

तुमी संत साहित्य का प्रेमी,
तुमी पोवारी को हिरा
तुमरी प्रगती देखस्यान, 
धन्य भयेव बरबसपुरा

कऱ्यात नौकरी तहसीलमा,
देयात शिकत रवो यव नारा
संस्कारको पेरा पेऱ्यात
धन्य भयोव बरबसपुरा

बिया भयेपरा बी शिक्यात
संबाल्यात कुटुंब की धुरा
कुटुंब को उद्धार कऱ्यात
धन्य भयोव बरबसपुरा

कलागुण की खान तुमी
खेल्यात दंड्यारको टहारा
किर्तनसंग नाता जोड्यात
धन्य भयोव बरबसपुरा

पोवारी साती झट रह्यात
तुमी पोवारीका दुलारा
तुमरा कार्य देखकन कवुसु
धन्य भयोव बरबसपुरा

आदरणीय बाबूजी(डी.पी रहांगडाले) तुमर समाजजागृती, पोवारी जागर, पोवारी उत्कर्ष क् कार्य साती मोरो बारबार नमन) 

डॉ. शेखराम परसराम येळेकर* नागपूर २९/४/२०२१


आदरणीय श्री. डी.पी. रहांगडाले

बरबसपूराको आखरपर रहांगडालेको घर
जन्म्या धनलाल, जसो भक्तिधन को सार
दिवो को उजारोमा रोज करती अभ्यास
खेती को काममा देती, बापला आधार

सुंदर भार्य भेटी उणला, गोमाटोला गाव
दुय टुरा अना टुरी, मनी आनंद नही मावं
भाई भाई रवसेत जसा राम ना लक्षुमन
बहिनाई लाड कवतिक की, खेलन नाव

लहानपणपासून से भजन कीर्तनको छंद
हार्मोनियम बजावसेत संग टाळ ना मृदंग
जस, श्लोक, आल्हाखंड गावसेती मस्त
कथा कहाणी सांगसेती हासी मजाक संग

निर्व्यसनी, शाकाहारी साधो सरल जीवन
दुय ड्रामाको, ढगभर भजनईंको  लेखन
हिंदी, पोवारी मराठी मा करसेत कीर्तन
माय बोली को प्रचारमा रमसे उनको मन

असो मोरो सदगुरुला बार बार से नमन
मोरा गुरु, मोरा पिता, जसा माय पांडुरंग
शब्दलक सजाऊसू उनको प्रेम की मार
शतआयुशी होवो, मन भजनकिर्तनमा दंग

सौ छाया सुरेंद्र पारधी

सन्मानिय साहित्यिक
    श्री डी.पी.राहांगडाले

महा योगी जीवन का
ताल कला,संसार मा
निर्व्यसनी से जीवन
लेखनी से हातमा

श्री डी.पी. राहांगडाले
पाय नाचसेत दंडार मा
संत साहित्यीक तुमी
जगसेव पोवारी सृंगार मा

प्रशासन मा सेवा
गाव मा भी जनसेवा
कर्मरथी पथपर
सुगंधी पसरावसे सेवा

अर्जीनमीस ते नायब तहसीलदार
सेवा को लंबो प्रवास
गाव को अनुपम प्रेम
बरबसपूरा मा निवास

किर्तन भजन हात मा टाळ
मुख जीवा पर सरस्वती
कथा सार गोंधळ,माय बोली प्रसार
वारकरी को जत्था से भोवती

ज्ञान का सागर
व्यंग रचना उजागर
समाज उत्कर्ष को कार्य
लेखनीको मशागती नांगर

आदरणीय बाबुजी
तुमला करुसू नमन
सुरज चांद सारखो चमके
योव सुगंधी जीवन

शेषराव येळेकर
दि. २९/०४/२१

श्री डी पी रहांगडाले
आदर्श जिवण, सुसंस्कृत आचरन
आध्यात्मिक, सादगीपुर्ण जिवन
होता पुर्व नायाब तहसिलदार
आता पोवारी बचावन साती लेयीन प्रन

- सोनू


मा. डी. पी. रहांगडालेजी
  

धनलालजी रहांगडाले 
होता नायब तहसीलदार, 
कविता, भजन, गीतकार
संगीतप्रेमी ना कीर्तनकार. 

बरबसपुरा तालुका तिरोडा 
को आय उनको मूळ घराना, 
वर्तमान मा गजानन कॉलोनी 
मा से उनको आशियाना. 

पोवारी, हिंदी, मराठी मा 
लिखसेत गीत, कविता, 
मधुर स्वभाव से उनको 
ज्ञान को बव्हसे सरीता. 

सरकारी नौकरी करके 
बनाय ठेईन काव्य प्रेम, 
टुरी उनकी छाया बाई 
निभावसे बाबूजी को नेम. 

                      - चिरंजीव बिसेन
                                  गोंदिया

              
  श्री डी पी रहांगडाले

पोवारीका धुरकरी
गाव बरबसपुरा
दंडारमा खेलनेवालो
गयोव लिपिक पदपरा।।

गावकि माती तुमरी
कसि चुप रवन देय्
नाइब तहसिलदार बन्या तुमी
नाव गावको भयोव।।

निर्व्यसनी रवनो 
ऋषिकोच से जीवन
मुहुन प्रतिभा फुल रही से
करत होता कीर्तन।।

अनुभव तुमरो काम आये
घडे सेवा पोवारी कि
नित्य करो नवो सृजन
कृपा  गडकालिकी।।

पालिकचंद बिसने सिंदिपार(लाखनी)

  श्री डी पी रहांगडाले
शुद्ध सात्विक जीवन 
भजन, किर्तन व्यासंगी
सरोसती वरदहस्ती 
महाज्ञानी सत्संगी |||
सुकर्मीत पथपरा 
सप्तसूर का साधक 
साहित्य उद्धारक चरणी 
मी शतदा नतमस्तक ||


वंदना कटरे
 

ऋण साहित्य गणको
साहित्यिक श्री डी. पी रहांगडाले


धनलालजीका । पोतनजी पिता ।
माय भागरता । पुण्यवान   ।।1।।

बरबसपुरा । गाव से इनको ।
धार्मिक मनको । धनलाल ।।2।।

अठरावो साल । जीवनमा आई ।
धनवंता बाई । भार्या ओकी ।।3।।

दुय टुरा अना । छाया एक टुरी ।
भयी इच्छा पुरी । संतानकी ।।4।।

बिह्याको बादमा । भया पदवीधर ।
बापला आधार । किसानीमा ।।5।।

पोट पाणी साती । अर्जनविस काम ।
किसानीमा घाम । काहाळती ।।6।।

कनिष्ठ लिपिक । अस्सीको सालमा । 
लग्या तहसीलमा । नौकरीपर ।।7।।

प्रमोशन लका । मोठो पद पर ।
नायब तहसीलदार। भय गया ।।8।।

निवृती को बाद । भया निर्विरोध ।
उपसरपंच पद । करीन सेवा ।।9।।

भजन-कीर्तन । टाळ ना मृदंग । 
हार्मोनियम संग । करसेती ।।10।।

छंद से उनको । ड्रामा ना डंडार ।
गोंधळ कथासार । करनको ।।11।।

पोवारी, मराठी । हिंदी की कविता ।
ज्ञान की सरिता । लिखसेती ।।12।।

इनकी से इच्छा । पोवारी प्रसार ।
भाषाको प्रचार । सबसाती ।।13।।

इनकी कविता । कसे गोवर्धन । 
करे संवर्धन । पोवारीको ।।14।।

    इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया
          मो. 9422832941
            दि. 29 एप्रील 2021

   श्री.डी.पी.रहांगडाले

मूल गाव आय । बरबसपूरा
जन्मेव गा टुरा । धनलाल

रहांगडाले को । सपुत सें गुणी
साहित्य की धुनी । पेटाईस

ईच्छा बडी भारी । शिक्षणको साठी
नोकरी मा भेटी । पदोन्नती

कलागुणी प्रेमी । सतकार्य भाव
निर्व्यसनी सेव । सदोदित

भजन कीर्तन । गायन वादन
कहानी कथन ।  छंद सेती

धनवंता वर । ज्ञान को सागर
पोवारी प्रचार । कार्य वोका

काकाजी तुमरो । आदर्श जीवन
शुद्ध आचरण । समाजमा

                       शारदा चौधरी
                            भंडारा


              ऋण साहित्यिक को
आदरणीय श्री डी.पी. रहांगडालेजी पर गीत

        संगीत संकीर्तनका छंदी

जिनको जीवन स्वच्छंदी
जिनकी संगत आनंदी
काकाजी श्री धनलाल
संगीत संकीर्तनका छंदी ||ध्रु||

खेडामा शिक्षण करके 
तूमी कास्तकारमा पक्का |
अर्जनविस, मंग लिपिक पासना
मामलेदार तहसीलका ||
निभायात जिम्मेदारीका
कहीं नहीं पाबंदी ||१||

बालबच्चा विद्याविभूषित
विवेकी संस्कारी |
मधुर बोलका तूमी धनी जी
सत्संगी सुविचारी ||
हर भाषामा कीर्तन करनो
काम से ब्रम्हानंदी ||२||

डंढार ड्रामा साहित्यमा
तुमरो से हातखंडा |
पेटी ताळ को सुरमा गायन
भरी से ज्ञान को हंडा ||
गीत लिखनोमा अग्रेसर
हर रचना तुमरी खंदी ||३||

धन लेयके हरेक कला को
जन्मेव जी एक लाल |
धन्य भया वय मायबाप अना
धन्य धन्य धनलाल ||
साहित्यिक गर असा रह्या
वोनं समाजमा नहीं मंदी ||४||

डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई
मो. ९८६९९९३९०७

 डी पी रहांगडाले
 गुरुजी तुमरो कार्य से प्रेरणादायी
रहो सदा तुम्ही आनंददायी
पोवारीकी अशीच करत रहो सेवा
एकोमाच तुमरो जीवनकी उतरायी

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