आंबागढ किला भंडारा जिले के तुमसर तहसिल मे आता है। तुमसर से यह किला लगभग १० किमी दुर है। यहां पहूंचने के लिए निजी वाहन से ही पहूंचा जा सकता है। यह किला सातपुडा पर्वत श्रृखलओं की एक पहाडी पर स्थित है। इस किले पर लगे एक लेख से पता चलता है की इस किले का निर्माण गोंड राजा बख्त बुलंदशाह के सुबेदार राजाखान पठान ने जंगल मे शत्रु से बचाव के लिए वर्ष १७०० मे करवाया था। इस किले का निर्माण बहूत ही कलात्मक रुप मे किया गया है। बख्त बुलंदशाह के पुत्र चांद सुल्तान की पत्नी रणकुंवर का वास्तव्य कुछ काल इस किले मे रहा, उनका स्नानघर भी हूआ करता था जो आज भी जर्जर हालात मे दिखायी देता है। गोंड राजाओ के बाद मे यह किला मराठाओ के अधिन चला गया, उस समय इस किले का उपयोग कैदखाने के रुप मे किया जाता था।
पवारी ज्ञानदिप पुस्तिका के अनुसार रघुजी भोसले के शासन काल मे आंबागढ किले का किलेदार पोवार मोतीप्रसादसिंह ठाकुर थे। उस समय इस किले का उपयोग कैदखाने के लिए किया जाता था। इस किले मे एक अंधियारा कमरा भी है जिसमे कैदियो को रखा जाता था। इस किले मे एक कुआ है जिसके बारे मे किले के बाहार लगे बोर्ड पर लिखा गया है की उस कुऐं का पाणी जहरिला हूआ करता था, गंभिर कैदियो को वह पाणी पिलाया जाता था जिससे उनकी मृत्यु होती थी।
इस किले के बारे मे स्थानिक बताते है की इस किले से एक सुरंग ऐसी है जो सिधा नागपुर के किले मे निकली है लेकिन हमारे खोज मे यह सुरंग हमे दिख नही पायी। शायद वही अंधियारे कमरे से वह सुरंग होते हूये नागपुर निकलती होगी। यह किला गोंड, मराठा, ब्रिटिशो के काल मे एक मुख्य किला हूआ करता था, ३२० वर्ष बाद यह किला अब जर्जर हो चुका है। लेकिन महाराष्ट्र शासन द्वारा इस किले को पर्यटन योग्य रुप दिया गया है। इस किले मे पर्यटक नगण्य संख्या मे आते है इसलिए यहां आने पर शांती प्रतित होती है। एक दिन की पर्यटन यात्रा के लिए यह किला परिपुर्ण है।
- सोनू भगत
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