मोहतुर
आयेव तीज ला करसा को सन्
कास्तकार को हर्षित भयेव मन्
बरखा की पहली बूंद पडी भुपर्
महक उठी धरती चहूओर सुंगध
तीज को दिवस जुपिस बखर्
गयेव खेतपर सजी आरती लेयकर्
जोडिस हात ईश्वरला उम्मिद लक्
करीस मोहतुर पांच मुठ धानलक्
पानी पड़ेव रिमझिम फुहार धरतीपर्
नीकलेव अंकुर वापी खारी सरसर्
परहा भयेव खात टाकीस घातपर्
निकलेव सोनो खेतमा पात पातपर्
कटाई की करिस मोहतुर नवो धानलक्
हर्षित भयेव मन नवो खीर को बासलक्
कटेव धान बांधिस बोझा तनीसको बंदलक्
भई चुरनि खुश किसान धरती को पुनलक्
- सोनू भगत सोनसावली
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