मोहतुर
बैसाक को वनवा पेहरावसे अंगार को हार
हिवरी हिवरी धरती माय भय गयी से बेजार।।1
किसान इनको डोरा भर आय गईसे पानी
वसु माय को सेवा साती सुरु कमर कसनी ।।2
बळीराजा न मनमा ठेइसेस मोठो संयम
देखसे मोहतुर कि बाट निभावनो धरम ।।3
मिरुग मा आया आता कारा कारा बादर
बिनती आयकीस न करन बसेव आदर ।।4
दुनिया को पोसिंदा बखर संग भयव तयार
झुंझुरका गयव खेत, करिस मोहतुर पार ।।5
पुंजा करकन माय कि फेकीस मुठभर धान
बखर चलायकन मांगीस मयनत को दान ।।6
धरती माय कि सेवा मा च बितसे कारी रात
दुसरो को पोट भरन साती मोहतुर लक सुरुवात ।।7
मोहतुर को कलस मा भर जासे मोती कि रास
गरिब को घर मा बि होसे उजारो कि आरास ।।8
खेती साती किसान मानसे मोहतुर जरुरी
जिवन मा आय जासे मंग श्रद्धा न सबुरी ।।9
वंदना कटरे "राम-कमल"
गोंदिया
१४/०६/२०२०
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