श्री. चिरंजीव पुनाजी बिसेन
साधो रवनो उच्च विचार
असा चिरंजीव काकाजी
पूनाजी को पुण्यप्रताप
शांताबाई आती माताजी
लक्ष्मी आयी जीवन मा
जीवन भयेव सुखदाई
किरणकुमार अना स्वाती
बाग जीवन की महकाई
कविता लेखन को छंद
भाषा को नहाय बंधन
पोवारी बोली पर प्रेम
कविता लक करीन चंदन
सेवानिवृत्त केंद्र प्रमुख
प्रशासन गौरव पुरस्कार
जुना हिंदी गाना उनला
देसेत मनला शांती अपार
असीच तूमरी लेखणी
चलत रहो सालन साल
स्वस्थ रहो निरोगी रहो
गढकालिका करे प्रतपाल
सौ छाया सुरेंद्र पारधी
सिहोरा
ऋण साहित्यिक गण को
( श्री चिरंजीव बिसेन)
पोवार उत्कर्ष साहित्य ग्रुप
साहित्यिक इनकी सें खाण
उन मालक चिरंजीवजी को
व्यक्तिमत्व सें अति महान
शांताबाई पुनाजी बिसेन पुत्र
प्रशासन गौरव पुरस्कार लं सन्मानित
बडू को मन सदा रमावं सेती
पुराना हिंदी फिल्मी गीत
लक्ष्मीकांत को सें जगमा
सबमा सुखी सुशील परीवार
किरण स्वाती दुय सुंदर फुल
उमल्या सेती संसार बेलपर
संस्कारक्षम शिक्षकी पेशा
नित्य काम उनको विद्यादान
टूरीइनकी सौटक्का पटनोंदणी करके
जिल्हास्तरपर भेटेव सम्मान
मराठी हिंदी पोवारी भाषामा
काव्यलेखन को तुमला छंद
समाजकार्य,कविता आयोजन
साहित्य निर्मितीको अस्सल गंध
सदा रवं आमरो सर पर
असोच तुमरो वरदहस्त
टेमनी को कविवर म्हणून
चमके नाव एकदिन मस्त
शारदा चौधरी
भंडारा
तारीख :- १३/५/२०२१
रोज:-बस्तरवार
ऋण साहित्यिक को…………. श्री चिरंजीव बीसेन
(चाल:-सावन का महिना)
ऋण साहित्यिक का, केतरा आमरं परा।
साहित्यिक चिरंजीवजी बिसेन सेती खराखुरा।। धृ।।
तहसील, जिल्हा गोंदिया टेमणी गाव ।
अजी पुनाजी बिसेन,माय शांताबाई नाव।।
धरलक्ष्मी लक्ष्मीबाई, संसार को पसारा।। १।।
किरणकुमार टुरा एक मोठो गुणवान।
हुशार,सुशील टुरी स्वाती घरकी शान।।
नौंकरी लगी शिक्षक की डी. एड् होयपरा।। २।।
नौंकरी परा रयशानी बी.ए. बी. एड् करीन।
हिन्दी,मराठी,पोवारीको छंद मनमा धरीन।।
बहुत सारी कविता को लगाईन सेन थारा।। ३।।
निश्चल,व्यासंगी,छंदी लिखाण की धाया।
केंद्र प्रमुख मनून सतराला से. नि. भया।।
सूर्याटोला गोंदियामा,घरदार लेईन थारा।। ४।।
कविता,ना लेखलेखन,सुंदर करसेती ।
उत्थान पोवारीको हातभार लगावसेती।।
माय कालीकाको हात सदा रव्ह डोईपरा।। ५।।
पोवारीच मायबोली पोवारीकोच ध्यास
सुखी समृध्द जीवन रव्ह याच से आस
पोवारीको आधार स्तंभ माथा चरणपरा।। ६।।
डी पी राहांगडाले
गोंदिया
कवी:-श्री चिरंजीव बिसेन
कवी श्रेष्ठ चिरंजीव बिसेन
मुळ गाव टेमनी
मराठी हिंदी पोवारी की
साहित्य सृजन करसे लेखनी
धन्य वय माय बाप
शांताबाई पुनाजी
सार्थक भयी तपस्या
पुत्र भेट्या चिरंजीवजी
जीवनभर साथ ओको
वा भार्या लक्ष्मी
टुरा टुरी किरणकुमार,स्वाती
नहाय परिवार मा कमी
गुरु को चरित्र
हातमा शैक्षणिक कार्य
मा सरस्वती का पूजक
स्वाभिमानी शौर्य
साधी सिधी राहनी
चमके कपाली ज्ञान
श्रवण लेखन छंद
मायबोली मा प्राण
प्रशासन गौरव पुरस्कार
अना जिल्हास्तरीय पुरस्कार
पूरो जीवन महर्षी सम
ज्ञान संवर्धन अना आविष्कार
जीवनभर शिक्षकी पेशा
जन सेवा को ध्यास
गुरु रहकन सदा विद्यार्थी
निरंतर चलतो अभ्यास
धन्य भयी मातृभूमी
वहान उपज्या चिरंजीव
त्याग,समर्पण,सेवा
खराखुरा तपस्वी शिव
निरंतर साहित्य सेवा
महर्षी समाज शिक्षक
असोच सदा भेटे साथ
कला संस्कृती को बनो नायक
धन्य सेजन आमी
भेटी एक गुणी संगत
साहित्य को माध्यम लका
बस्या एक पंगत
सुखी रहे तुमरो जीवन
घडे साहित्य सेवा
न दिसे दुख की परछाई
मनलका मागनो से देवा
शेषराव येळेकर
सिंदीपार
दि.१३/०५/२१
ऋण साहित्यिक गण को
(चिरंजीव पुनाजी बिसेन)
अडीअडचन। मदत कर्तव्य।
नोहोतो व्यत्यय।कभीच गा
भाऊ धुरंधर।छंद से लेखन।
गीतको श्रवन।करसेती।।
बाप गा पुनाजी।माय शांताबाई।
पत्नी लक्ष्मी बाई।शोभसेगा।।
टुरा से किरण।टुरी स्वाती बाई।
बडी नवलाई।कुटुंबमा।।
प्रशासन देसे।गौरव पुरस्कार।
भाऊ को सत्कार।जीवनमा।।
कविता लेखन।हातखंडा बडो।
शिक्षा मुल्य जोडो।आयुष्यमा।।
शिक्षकी से पेशा।अति स्रूजनता।
होती गा समता।विद्यार्थिमा।।
सौ.वर्षा रहांगडाले बिरसी
बिरसी (आमगांव)
गोंदिया
मा.चिरंजीव बिसेन सर
मुरत तुमरी देकस्यानी
जगसे भाव सेवाको
पोवार समाजका भुषण तुमी
बजाओ डंका प्रेमको।।
शिक्षण क्षेत्रमा् नाव कमायात
सालेकसामा भेट्या तुमी
सुगंध साहित्यकि आवत होती
आब् धुरकरी बन्या तुमी।।
तुमर् साहित्यमा से समाज
से निसर्ग अना् मूल्य
संस्कृती प्रेमबि झलकसे
तळमळ तुमरी अतुल्य।।
निवृत्त नयि भयात तुमी
समाजशिक्षक रवनो से
हर व्यक्ती कि अलग से खुसबू
पोवारी बगिचा सजावनको से।।
मंगल करसेजन कामना आमी
करो नवसाहित्य सृजन
मनला करबि शांत एकाग्र
ईश्वरको नित करबि भजन।।
पालिकचंद बिसने
ऋण साहित्य गण को
चिरंजीव पुनाजी बिसेन
पुनाजीको टुरा लाडको
शांतामाईको राज दुलारा
लक्ष्मीबाई संग बिया भयोव
चिरंजीव भाऊ बनेव सहारा
शिक्षा प्रेमला मनमा बसायात
हातमा धऱ्यात किताबी झोरा
बालगोपालइनला सांगत बस्या
पढाई लिखाई जीवन सहारा
ज्ञानदानको काम करनला
अध्यापनको लेयात सहारा
विद्यार्थी प्रिय गुरुजी मनुन
पुरस्कारको मिलेव बोजारा
ज्ञानदानक् पुण्य काममा
साहित्य संग जोडयात नाता
युवा पिढी ला प्रेरीत करनला
तुमी लिखसेव कथा कविता
मार्मिकता की प्रतिक रवसे
पोवारी की तुमरी कविता
पोवारी को प्रचार प्रसारमा
मायबोली संग जोड्यात नाता
उच्चपद पर रयकनबी
नही कऱ्यात गलबला
मायबोली क् सेवासाती
नमन तुमर् प्रतीभाला
डॉ शेखराम परसराम येळेकर नागपूर
१३/५/२०२१
कवी श्री चिरंजीव बिसेन गुरुजी
(अष्टाक्षरी काव्य)
गाव टेमनीमा होतो
बिसेनको परिवार |
संग पुनाजीको रव्ह
पत्नी शांताबाई नार ||१||
सन एकोणसाठ मा
घर आयो एक जीव |
बढ़ो प्रेमल् ठेईन
नाव वको चिरंजीव ||२||
वर्ग सहावी पर्यंत
भयो गावच शिक्षण |
मंग बारावी पर्यंत
गयो गोंदिया सिकन ||३||
सन एकोणऐंशी मा
भयो डिएड शिक्षण |
कार्य करीन निस्वार्थ
गावमाच अध्यापन ||४||
वको जीवनमा आयी
गुणवान लक्ष्मी नार |
भया दुय टुरा टुरी
स्वाती, किरण कुमार ||५||
भयी शिक्षक नियुक्ती
ध्यास गुरुको धरीन |
सेवा करता करता
बीए बीएड करीन ||६||
केंद्र प्रमुख बढ़ती
भयी च्यारको सालमा |
तीन पुरस्कार भेट्या
येन पदको कालमा ||७||
सेवा निवृत्तीको बाद
सुरु करीन कविता |
लिख पोवारी मराठी
हिंदी ज्ञानकी सरिता ||८||
येन भाऊकी कविता
सब कसे गोवर्धन |
करे पोवारी बोलीको
समाजमा संवर्धन ||९||
इंजि. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया
मो. ९४२२८३२९४१
दि. १३ मई २०२१
ऋण साहित्य गण को
चिरंजीवजी बिसेन
लेखक - गुलाब बिसेन
पोवारी साहित्य जगत साहित्यपटलपर आवनक् येन् संक्रमन कालमा जसा नवोदित साहित्यिक आपलो लेखनला निखार रह्या सेत, तसोच ज्येष्ठ साहित्यिकबी आपल् अनुभवको साहित्य क्षेत्रमा कस लगायस्यान पोवारी साहित्य निर्मीती कर रह्या सेत. असाच एक खासकरस्यान पोवारी साहित्य जगतका ऋषीतुल्य साहित्यिक मंजे कवी चिरंजीवजी बिसेन ये आत.
चिरंजीवजी बिसेन येव शिक्षण क्षेत्रमा नवाजेव नाव. अध्यापक पासून सुरू भयेव येव प्रवास केंद्र प्रमुखपर आयस्यान रूकेव. शिक्षण क्षेत्र नवनवा प्रयोग करस्यान गोंदिया जिल्हाक् शिक्षण क्षेत्रमा आपलो अलग पहचान बनावनेवाला चिरंजीव बिसेनजी अनेक पुरस्कारयीनका मानकरी ठर्या. माणूस आपल् उमरलक निवृत्त होसे पर वोन् मनलक निवृत्त नही होये पायजे. येवच सूत्र पालन कर बिसेनजी अज साहित्य क्षेत्रमा कार्यरत सेत.
एक क्षेत्र सूटेपर दुसरो क्षेत्रमा आपली अलग पहचान उनन् बनाईसेन. पोवारीक् संगसंग मराठी अना हिंदी साहित्य क्षेत्रमा बिसेनजीकी उठबस से. मराठी, हिंदी साहित्य सृजन करस्यान उनन् क्रमांक प्राप्त करीसेन अना कर रह्या सेती. अलग अलग भाषामा साहित्य सर्जन करनो तसो तारपर कसरत करनोलाईकच से. पर मन मा उमंग रहेव अना मूलत: सर्जनसिल व्यक्तिमत्वको धनी आदमी आपली छाप सोळच देसे. असा चिरंजीवजी बिसेन साहित्य क्षेत्रमा कार्यरत सेती.
चिरंजीवजी जसा पोवारी, मराठी अना हिंदी कविता लिखसेत तसोच उनको अनुवादबी दर्जेदार रव्हसे. अनुवाद कलाको परीचय वय समय समयपरा देता रवसेत. अॅड. लखनसिंह कटरेजीकं मराठी कविताको "असोत् बिलकुल नहाय" येव पोवारी अनुवाद जबरदस्तच कहे पायजे. असा ये साहित्यिक पोवारी साहित्य क्षेत्रमा कार्यरत सेती या आमरंसाती गर्वकी बात से.
- गुलाब बिसेन (दि.१३/०५/२०२१)
ऋण साहित्यिकको श्री चिरंजीव बिसेन
दिनांक: १३.०५.२०२१
शीर्षक: चिरंजीव (अभंग काव्य प्रकार)
पोवारी बोलीका, विचारक नित्य
बनंसे साहित्य, चिरंजीव ||१||
शांताबाई माय, पूनाजी गा तात
लक्ष्मीबाई कांत, चिरंजीव ||२||
देहातको जन्म, गुरू पुरस्कृत
सुस्वभावी श्रुत, चिरंजीव ||३||
मराठी पोवारी, हिंदीमा लेखन
विनम्र सज्जन, चिरंजीव ||४||
आभासी समुह, व्यवस्थापनमा
मार्गदर्शनमा, चिरंजीव ||५||
छुपी से प्रतिभा, बिचार अनंत
असा गुणवंत, चिरंजीव ||६||
वाग्देवी कालिका, शंकर आराध्य
तुमरो सानिध्य, चिरंजीव ||७||
संगत तुमरी, तुमरो आशिस
आमरी कोशिस, चिरंजीव ||८||
आमरी सदिच्छा, ओरांडो शतक
नावकी चमक, चिरंजीव ||९||
डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे "प्रहरी"
डोंगरगांव/ उलवे, नवी मुंबई
मो. ९८६९९९३९०७
ऋण साहित्यिक गण को
श्री.चिरंजीव बिसेन
लला ट पर साहित्य को प्रभाव
सधो भोलो काकाजी को स्वभाव
टेमनी आय काकाजी को गाव
शांताबाई अन् पूनाजी का लाल
चिरंजीव काकाजी साहित्य काल
उनकोकाव्य लेखन बडो कमाल
जोडीदार लक्ष्मी आय बाई
किरणकुमार,स्वाती की आई
से वाका ल मा करीन भलाई
नोकरी बरोबर ग्यान बढाई न
प्रशासन गौरव पुरस्कार पाई न
अडचण मा फस्याईन ला बचाईन
सतरामा से. नि.केंद्रप्रमुख भयात
कविता लेखन को छंद जपायात
त्रिभाशा मा कविता बनायात
जीवन तुमरो सुखी होवो
स्वस्थ निरोगी तुम्ही रवो
असोच पोवरी को मान बढा वाे
उषाताई रहांगडाले (बीसेन)
श्री. चिरंजीव बिसेन सर
शीर्षक:- आमरा गुरु
(चाल....बहोत प्यार करते है तुमको सनम)
आव आमरा गुरु, तुम्ही बिसेन सर
बहुत बढिया से, तुमरो साहित्य सफर||धृ||
गोंदियाका भुमीपुत्र, जन्मभूमी टेमनी गाव
शिक्षकी पेशामा, कऱ्यात उज्ज्वल नाव
अच्छो अध्यापनलक जगायात, कईका जिगर
बहुत बढिया से, तुमरो साहित्य सफर||१||
पुनाजीना शांताबाईका, तुम्ही लाडका लाल
सेवा निवृत्तीपर, धऱ्यात साहित्यको ताल
कर्तुत्वत्वान सेत टुराटुरी, नोको करो फिकर
बहुत बढिया से, तुमरो साहित्य सफर||२||
हिंदी, मराठी, पोवारीमा, तुमरो वरदहस्त
साहित्य जगतमा लगावो, अशिच नित्य गस्त
मायबोलीकी सेवा, एकदिन देखाये असर
बहुत बढिया से, तुमरो साहित्य सफर||३||
महेंद्रकुमार ईश्वरलाल पटले(ऋतुराज)
ता. १३/०५/२०२१
ऋण साहित्यिक गण को -
सब साहित्यिक ला समर्पित
साहित्यिक नही रव्हता त,साहीत्य न रव्हतो ,
बोली भाषा न रव्हती,रस ना रव्हतो,
साहीत्य न रव्हतो, त संस्कृती न रव्हती,
संस्कृती न रव्हती ,आदर्श व्यवहार न रव्हतो,
आदर्श व्यवहार न रव्हता ,त मानुसकी ना रव्हती,
पूर्ण धरोहर से साहित्यिक लक,
शब्द नही भेटत वर्णन करनला,
पूर्ण समजलेव मोरो नमनलक।
कौशिक चौधरी
ऋण साहित्यिक गणको
ऋण उतारता उतारता।
मोला क-यात ऋणी।
कलम का धनी।
तुम्ही सब।। १।।
असोच रव्हन देव।
प्रेम को संबंध।
साहित्य को बंध।
सदा साती।। २।।
तुम्ही मोरा प्रेरक।
बंधु अना भगिनी।
मी तुमरो ऋणी।
सदा साती।। ३।।
हात जोडकर विनंती।
साहित्य संग प्रिती।
पोवारी की उन्नती।
करत् रहो।। ४।।
सब कवी गण को।
विशेष आभार।
शब्द रूपी प्यार।
देयात बहुत।। ५।।
- चिरंजीव बिसेन
गोंदिया
दि. १३.५.२०२१
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