काव्यस्पर्धा क्र. ०२
दिनांक - २२-०३-२०२०
विषय -अदरक
विधा - दोहा छंद ,(५ दोहे )
पहलो तीसरो चरण - १३,१३ मात्रा
दूसरो और चौथो चरण - ११,११ मात्रा
१.
माह जून मा होवसे ,अदरक की बुवाई
नौ माह मा भयी फसल,मारच मा कटाई ।।
२.
अदरक जड़ को रूप से,लाभकार से जात
जुकाम सर्दीअन कफ मा,पिस पिस रस ला खात।।
३.
अदरक की चाय करसे,पाहुना लक सम्मान
बेटी को बिहाव मा भि, बढ़ावसे यो मान।।
४.
अदरक पिस लगाय लव, होवसे रोग नाश
खाज खुजली त्वचा रोग,अना हाजमा खास ।
५.
स्वाद लक अंजान होव ,छूटयो गर खाद्य
बंदरा नही जानसे,यो अदरक को स्वाद ।।
स्वरचित
पंकज 'जुगनू'
परसवाड़ा ,बालाघाट
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