बोली भाषा के प्रथम प्रणेता : डॉक्टर नाथूराम कालभोर रोंढा, बैतूल
आगरा विश्वविद्यालय से हिंदी में पीएचडी और डी.लिट -1980
घर के चार सदस्य पीएचडी पिता, एक बेटा और दो बेटियां
भोपाल। डॉ रामविलास शर्मा, राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर के भाषाविदों में ख्यातनाम के समकालीन डॉक्टर नाथूराम कालभोर 17 दिसंबर 1928 को ग्राम रोंढा जिला बैतूल में जन्मे समाज के पहले पीएचडी अवार्डी है। आपकी बेटी डॉक्टर रीना सिंह कालभोर बिसेन समाज की पहली महिला पीएचडी अवॉर्डी है।
"चलो गांव की ओर" का नारा देने वाले डॉक्टर नाथूराम कालभोर 1980 के दशक में ही गांव का महत्व और महत्ता समझ गए थे।
समाज के वे पहले व्यक्ति हैं जिनके परिवार की "कालभूत" शीर्षक से पारिवारिक पत्रिका 1980 के दशक में प्रकाशित होती थी।
इतना ही नहीं उनके घर के 4 सदस्य पीएचडी अवॉर्डी है। बेटा डॉ विजय कालभोर, दो बेटियां क्रमशः डॉ बीना सिंह कालभोर बिसेन , डॉ रीना सिंह कालभोर बुआड़े और स्वयं डॉक्टर नाथूराम कालभोर।
आगरा विश्वविद्यालय में रहकर शिक्षा और संस्कार का समाज में अरुणोदय करने का श्रेय आपको जाता है।
पवारी बोली का पहला शब्दकोश डॉ नाथूराम कालभोर जी द्वारा दिया गया
बैतूल के गजेटियर के संशोधन परिवर्धन और पुनर्लेखन समिति के अध्यक्ष रहे हैं डॉ नाथूराम कालभोर
पहली पारिवारिक पत्रिका के प्रणेताऔर समाज के पहले डॉक्टर ऑफ लिटरेचर डॉ नाथूराम कालभोर
केंद्र शासन द्वारा गठित हिंदी विकास समिति में डॉ विद्यानिवास मिश्र के साथ डॉ कालभोर भी
भोपाल। रुस के शासक(राजा) जार द्वारा अपने बच्चों को शिक्षित और संभ्रांत बनाने के उद्देश्य से विश्व की पहली परिवारिक पत्रिका निकाली गई थी। विश्व की दूसरी पारिवारिक पत्रिका डॉ रामविलास शर्मा और विश्व की तीसरी पारिवारिक पत्रिका डॉक्टर नाथूराम कालभोर द्वारा निकाली गई थी ।
शिक्षा के प्रति आपकी रुचि और ललक के चलते ही आप सेकेंडरी के बाद आगरा पहुंचे और आगरा को अपनी कर्म स्थली बनाया।
आगरा में रहते हुए आप अपनी जन्मस्थली रोंढा से जुड़े रहे। पवारी बोली पर आपने पहला शब्दकोश दिया और भाषा विज्ञान की दृष्टि से पवारी बोली का विश्लेषण किया।
आपकी प्रतिभा से प्रभावित होकर बैतूल कलेक्टर द्वारा आपको बैतूल के गजेटियर के संशोधन ,परिवर्धन और पुनर्लेखन समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। आपके मार्गदर्शन में बैतूल गजेटियर तैयार किया गया था। आप समाज की संभवतः पहली प्रतिभा है जिनकी सेवाएं शासन द्वारा गजेटियर हेतु ली गई हो।
आप समाज के पहले डॉक्टर ऑफ लिटरेचर हैं जिन्हें बैतूल में आयोजित राजा भोज जयंती के अवसर पर राज्यपाल कुंवर महमूद अली द्वारा सम्मानित किया गया था।
ग्राम रोंढा से ही श्री मुन्नालाल देवासे और श्री गोपीनाथ कालभोर द्वारा पवारी बोली भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु काफी काम किया गया है। इन दोनों के अवदानों पर केन्द्रित पृथक से पोस्ट जारी की जाएगी।
पवारी बोली का पहला शब्दकोश डॉ नाथूराम कालभोर जी द्वारा दिया गया
बैतूल के गजेटियर के संशोधन परिवर्धन और पुनर्लेखन समिति के अध्यक्ष रहे हैं डॉ नाथूराम कालभोर
पहली पारिवारिक पत्रिका के प्रणेताऔर समाज के पहले डॉक्टर ऑफ लिटरेचर डॉ नाथूराम कालभोर
केंद्र शासन द्वारा गठित हिंदी विकास समिति में डॉ विद्यानिवास मिश्र के साथ डॉ कालभोर भी
भोपाल। रुस के शासक(राजा) जार द्वारा अपने बच्चों को शिक्षित और संभ्रांत बनाने के उद्देश्य से विश्व की पहली परिवारिक पत्रिका निकाली गई थी। विश्व की दूसरी पारिवारिक पत्रिका डॉ रामविलास शर्मा और विश्व की तीसरी पारिवारिक पत्रिका डॉक्टर नाथूराम कालभोर द्वारा निकाली गई थी ।
शिक्षा के प्रति आपकी रुचि और ललक के चलते ही आप सेकेंडरी के बाद आगरा पहुंचे और आगरा को अपनी कर्म स्थली बनाया।
आगरा में रहते हुए आप अपनी जन्मस्थली रोंढा से जुड़े रहे। पवारी बोली पर आपने पहला शब्दकोश दिया और भाषा विज्ञान की दृष्टि से पवारी बोली का विश्लेषण किया।
आपकी प्रतिभा से प्रभावित होकर बैतूल कलेक्टर द्वारा आपको बैतूल के गजेटियर के संशोधन ,परिवर्धन और पुनर्लेखन समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। आपके मार्गदर्शन में बैतूल गजेटियर तैयार किया गया था। आप समाज की संभवतः पहली प्रतिभा है जिनकी सेवाएं शासन द्वारा गजेटियर हेतु ली गई हो।
आप समाज के पहले डॉक्टर ऑफ लिटरेचर हैं जिन्हें बैतूल में आयोजित राजा भोज जयंती के अवसर पर राज्यपाल कुंवर महमूद अली द्वारा सम्मानित किया गया था।
ग्राम रोंढा से ही श्री मुन्नालाल देवासे और श्री गोपीनाथ कालभोर द्वारा पवारी बोली भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु काफी काम किया गया है। इन दोनों के अवदानों पर केन्द्रित पृथक से पोस्ट जारी की जाएगी।
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