Thursday, May 28, 2020

पैसा को झाड hirdilal thakre 001


     !! पोवारी इतिहास साहित्य एंव उत्कर्ष!! 
    !! दि  26-05-2020- दिवस मगंळवार!! 
      !! बोधकथा लेखन प्रतियोगिता साती !!
                    ( पैसा को झाड)  
स्नेही श्री आदरणीय जी सबला हिरदीलाल ठाकरे को सादर प्रणाम जय राजा भोज,,,, अज की बोधकथा,,,  कुण्डलपुर नगर मा एक सत्यनारायण नाव को एक सावकार रव्हत होतो,,,, सर्वसामान्य परिवार लक होतो,,,, नीत नेम भगवान को भजन करन्,,,, साथु संत माहात्मा की पुजा करन्,,,, आनंद लक आपलो जिवन व्यापण करन्,,,,,, सत्यनारायण की एक धर्मपत्नी होती,,,,, पती को कहेव अनुसार चलने वाली,,, भगवान को भजन करने वाली ,,,,सत्य मर्यादा संस्कृति को पालन करने वाली,,, सत्यपतीवर्ता होती,,,,,, सत्यनारायण को वंश मा एकुल्तो एक पुत्र होतो,,, बहुत गुणवान बुद्धिमान शीलवाण होतो,,,, पर वोको मा एक कमी होती,,,, उ बहुत जिद्धी होतो!!
           सत्यनारायण को टुरा बहुत ही जिद्धी होतो,,, हर समय काही ना काही खिलोना साती हट्ट धरत होतो,,  पुत्रमोह मा आयकर,, सत्यनारायण आपलो टुरा की जिद पुरी करत होतो,,, पर एक दिवस त सत्यनारायण को टुरा न हदच कर देईस,,,, वोन ससार को हेल्लिकाँपटर ( विमान)  की मागं करीस,, मोला विमान पायजे म्हणजे पायजे ,,,,असो वोन बिलकुल हट्ट धरके कोहोराम मच गयेव,,,, सत्यनारायण ला बहुत खराब लगेव,,,,बहुत समजाइस,,, बेटा तु या मागं करी सेस या पुरी नही होय सक्,,,, पैसा को झाड नाहाय की झाड हलाईस ना पैसा पड गया? आता येव सागों पैसा को झाड काहा होसे,,,, मोला पैसा को झाड पायजे,,, वोन आपलो बेटा ला दुय थापड मारीस,,, टुरा नाराज होय कर दरवाजो पर बस गयेव!! 
         सब जागा पर व्यापक परमात्मा येव सब द्रुश्य देखत होता,,,, वोत्रोमाच एक साधु महात्मा,, जिनको बगल मा झोली,,, हात मा बिना,,, मस्तिष्क पर तिलक,,, भगवा वस्त्र,, अलख निरंजन कवत कवत सामने आया,,  सत्यनारायण को टुरा ला रोवन को कारण खबर लेईन,,, नाराजगी को कारण खबर लेईन,,, टुरा न माहात्मा सागींस ,,,मोला पैसा को झाड पायजे,,, साधु महात्मा न आपलो झोली मा हात टाकीस,,, झोली लक काही ऊपयोगी बिजा निकालीस ,,,,बेटा ये पैसा को झाड का बिजा आती,,, इनला जगावनो पडे,,, येव झाड मोठो होये तब पैसा देहे,,,,वोको बाद तुम्ही आपलो मनपसंद का विमान या अन्य चीज लेय सक् सेव!! 
       सत्यनारायण को टुरा बहुत ही खुश भयेव,,, वोय बिजा धरके तुरंत बगीजा मा गयेव,,,,खुब मेहनत करके झाड लगाईन,,, रोज रोज वोन झाड की मशागत करनो,, पाणी टाकनो,, आपलो मन मा खुश होतो,  ,पैसा को झाड मोठो होये तब पैसा देहे,,,असो करता करता झाड बहुत ही सुदंर,,,, बहुत ही मोठो फलदार झाड भयेव,,,, झाड को सगं सगंमा सत्यनारायण को टुरा बी मोठो भयेव समजदार भयेव,,, वोन झाड ला बहुत फल व फुल लग्या,,, वोय फल फुल तोडकर बजार मा बिककर बहुत सारा पैसा आया,,,, तब सत्यनारायण को टुरा ला समज मा आयेव की,, ,येतरा पैसा कमावन साती बहुत महत्वपूर्ण मेहनत करनो पडसे,,, वोला मालुम भयेव की पैसा को झाड नही होय,, पर वोको मेहनत लक,,, वोको लगन लक,,, वोको कार्य लक,,,वोन फलदार झाड लक बहुत सारा पैसा आया,,,अना वोन पैसा लक आपलो मनपसंद का सामान लेन लगेव!!
        येन बोधकथा लक येव बोध होसे,,,,,की आपली ऊध्योगप्रियता बुद्धिमता , ,,अना आपलो काम को प्रती आपुलकी लगाव ,,,,येको लक आपलोला कीरती अना सौभाग्य प्राप्त होसे,,, असी अज की बोधकथा!!मोरो लीखनो मा समजावनो मा काही गलती भयगयी रहे त मोला लाहान भाई समजकर माफ करो जी याच मोरी नतमस्तक विनंती से जय राजा भोज जय माहामाया गडकालीका!!
                 !!! लेखक  !!!
       श्री हिरदीलाल नेतरामजी ठाकरे 
      मु, भजियापार, पो, चिरचाळबांध, 
       ता आमगाँव जिल्हा गोदिया माहाराषट्र

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