Tuesday, August 18, 2020

राष्ट्रीय पोवारी काव्यस्पर्धा, काव्यस्पर्धा क्र. 24 विषय- पोरा

 

पोवारी इतिहास साहित्य एंव उत्कर्ष द्वारा आयोजित राष्ट्रीय  काव्यस्पर्धा, काव्यस्पर्धा क्र. 24 विषय- पोरा, तारीख:- १६/०८/२०२०रोज:- ईतवार

विषय सूची


क्रमांक

रचना

रचनाकार को नाव

1.        

पोरा

श्री डी पी राहांगडाले

2.        

पोरा

डॉ. शेखराम परसराम येळेकर

3.        

पोरा

श्री रणदीप कंठीलाल बिसने

4.        

पोरा

श्री चिरंजीव बिसेन

5.        

पोरा

श्री पालिकचंद बिसने

6.        

पोरा

सौ छाया सुरेंद्र पारधी

7.        

संस्कार

श्री वाय सी चौधरी

8.        

भारतीय सण  - " पोरा "

प्राचार्य श्री ओ.सी.पटले

9.        

पोरा को बालगीत

डॉ. शेखराम परसराम येळेकर

10.     

पोरा को सन तिहार

सौ बिंदु बिसेन

11.     

पोरा

प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे

12.     

पोरा

श्री सी. एच. पटले

13.     

पोरा

सौ.वर्षा पटले रहांगडाले

14.     

पोरा

सौ. शारदा चौधरी

15.     

पोरा

श्री मुकुंद रहांगडाले

16.     

दोस्ती को सन तिहार: पोरा

श्री ऋषि बिसेन


 

आयोजक                              परिक्षक

श्री सोनू भगत                     डॉ.अनिल बोपचे

 

1.पोरा

कास्तकार को संगी, जेक बलपर   लगाईस परा।

औन बैल की पूजा  करण को, सण   आय पोरा।।

सकाळीच बैल धोवण लिजासेती गावक तरापरा।

आंगपर झुल,गरोमा घोलर,चौरंग रव्ह  शिंग परा।।१।।

 

बैलला  सजाव,मठाडी बांध सेती   मस्तक परा।

गावक आखर पर   लगी तोरण  भरगयेव पोरा।।

तोरण खाल्या बैल,वाहां लोक जमा होती सारा।

मंग लोक गावती झळती चल झळती को मारा।।२।।

 

पर आतात उलटोच होय बैलकी पुजा घरपरा।

बेकारच बाहेर नोको निकलो सादगीको पोरा।।

कोणीच नही होनका जमा गावक आखर परा।

कोरोना से जितनऊतन ओकोच चलीसे मारा।।३।।

 

आपलो बचाव  साठी  मास्क बाँधो तोंड परा।

दुरदुर उभा रहेत, अंतर ठेयत,तोळेती परंपरा।।

मास्क बांधो अंतर ठेवो असो सरकारको नारा।

आपसी तालमेल ना सादगीलका मनाओ पोरा।।४।।

✍️डी पी राहांगडाले

गोंदिया

९०२१८९६५४०

2. पोरा

कोठाका बईल , आंगनमा बांधुसु

दिवससे पोराको, बईलला धोवूसु

 

बईलक् खांदला, हरद  लगावुसु

झुल ना चौरंग, बईल सजाऊसु

 

शिंगला बेगळ, गरामा घोल्लर

गरामा मटाटी, पोराको त्यौहार

 

खांदपर जुवाडी, मरमर राबसे

पोराक दिवस, जरा आराम करसे

 

पोराक् दिवस, बईलला से सुट्टी

बईलक् जेवणला, मेजवानी से मोठी

 

धरकन आरती, माय बईल पुजसे

लगाव से टीका, माय नमन करसे

 

पोराको जेवण, करंजी सुवारी

बुल्याना सुकुडा, वु करसे न्याहारी

 

पोराको त्यौहार, बईलको पुजन

बईल की पुण्याई, शोभसे आंगण

डॉ. शेखराम परसराम येळेकर

नागपूर १६/८/२०२०

3. पोरा

भारत देश यो,खेती साटी खास

किसान वु दास,मायमाटी !!१!!

 

किसानी करन्, राबराब रोज

कौसल को खोज,पीकसाटी !!२!!

 

बईल को संग,खेती करस्यान्

नही परेस्यान्,कास्तकार !!३!!

 

उपकार याद,सदैव मनमां

किसान ध्यानमां ,ठेवसेच !!४!!

 

पोरा को त्योहार,बईल कं साटी

संग बेलपाती,पुजा होसे !!५!!

 

पोराला झळती,गायकना लोक

अंतमां वु श्लोक,आरतीसंग !!६!!

 

बईलको थाट,करंजी को घास

जेवन वु खास,पोरादिन !!७!!

 

शंकर देवता,वाहन करसे

बईल सजसे,भ्रमणला !!८!!

 

कामकाज बंद,पोरा कं दिवस

रंक का रईस,नही सुटं !!९!!

 

नही रहे खेती,खासेजं अनाज

करो ना आगाज,खेतीसाटी !!१०!!

रणदीप कंठीलाल बिसने

 

 

4. पोरा            

भारतीय त्योहार मा पोरा ला से बहुत महत्व,

किसान संग बैल को बी ऋण को से तत्व.

 

 किसानी को काम क् बाद आवसे येव त्योहार,

किसान संग सबला होसे खुशी अपार.

 

बैल इनको ऋण चुकावन साती से समर्पित,

साज श्रृंगार, पूजा, पकवान उनला अर्पित.

 

भारतीय संस्कृती किसानी पर से आश्रित,

खेती मा सहायक बैल को महत्व से अबाधित.

 

बैल को साज श्रृंगार कर करसेती वोकी पूजा,

किसान को संगी तसो नाहाय कोनी दुजा.

 

पर आधुनिक काल मा बैल भय गया कमी,

ट्रेक्टर क् कारण बैल को महत्व भयेव कमी.

 

पोरा क् बाद दुसरो दिवस होसे तान्हापोरा,

लहान टुरू पोटू साती मनायेव जासे तान्हापोरा.

 

टुरू पोटू लकडा को नंदी धरस्यार फिरसेत,

बोझारो का पैसा उनला नगद भेटसेत.

                 ✍️ चिरंजीव बिसेन

          परमात्मा एक नगर, गोंदिया

            मो.नं. ९५२७२८५४६४

5. पोरा

मोर् भारत कि ,बात निराली

संस्कृती से, सबदुन न्यारी

पोरामा् बैल,गायकि दिवारी

हर सण सेती, मुल्यलक भारी //

 

खेतमा्बैल ,राबराब राबसे

कास्तकार उपकार ,पोराला फेडसे

शिंगला बेगड ,झुल घा्लसे

घोल्लर गरमा् मल्हार गावसे//

 

कवळीकि माळ गरामा् सोबसे

सर्जाराजाको तोराच चोवसे

गावमा् फेरी ,गजबज लगसे

बंड्याक् टोपीला रंगच चळसे//

 

पुरणपोळी करंजीको                

 बैलको  पाउनचार

पत्राळीमा् खासे राजा

खुशीलक् मनला बार//

 

कृतज्ञता भुतदया,                         

समाजिकरणबि मुल्य

रक्षा करो सणयकि

झळती से साहित्य,//

✍️पालिकचंद बिसने

सिंदिपार (लाखनी)

6.पोरा

शोभसे जोडी सिंगाऱ्या बैइलकी आंगणमा

मिलसे मदद बईल की किसानी को काममा

 

परा पानी सब होय जासे पोरावरी को दिनमा

असोमाच आवसे मंग पोरा को सन अवसमा

 

पोरा को पहले होसे मोहबैल की पूजा घरमा

ओंग भरसे भज्याबुड्डया लक टूरा की कोठामा

 

बैल धोएकर आया बांधो घोलर झुली आंगपरा

 सिंगला बेगड़ अना मठाटी शोभसे मस्तकपरा

 

लगी तोरण लिजाओ बैल गांव को आखरपरा

झर झर झड़ती गावसेती  पोरा फुटन को बेरा

 

भई आखरी झड़ती भड़केव देखो बैइल पोरा

आया घरधनी जोड़ी अना तोरण धरश्यान मोरा

 

पाय धोवो जेवावो जोड़ीला कुड़वाको पत्रीमा

ऋन चुकाओ धरती मायको पुत्रको येन घड़ीमा

 

मारबत निकलसे दूसरों दिन बुराई को प्रतिकमा

मोंगसा परासेत अना पानी दूरासे येन महीनामा

 

लहान टुरू साती लाकड़ी नंदीको पोरा भरसे

बैलको महत्व केत्तो से येका संस्कार करसे

✍️सौ छाया सुरेंद्र पारधी

       7.संस्कार

राखी भयी,कानुबा.भयोव,

आयोव सन बैलको पोरा,

आज सजावबिन गोरा।।धु।।

 

खेती को भयोव काम

से आरामच आराम।

सरजा राजा की जोडी़,

सेती सुंदर साजरा।।१।।

 

बेगड़ की या रंगोटी

मस्तकं पर मटाटी।

लाल रंग का छापा

चौरंग रंग्यासेती सारा ।।२।।

 

किसान का दैवत आती

दिवसभर करशेत खेती

तोरन मा करबीन उभी 

झडती मा योव शंभु भोरा।।३।।

 

मुखिया घरं की आरती

पुजा वाआखर परकी

तोरण तुटसे ,पोरा फुटसे

तोरन तोड़न सेती सारा।।४।।

 

नैवद्य करंजी पापडी को

थाट रव्हसे मालक को

बोजारो को दिन आयोव

बदलेती भाग्य  अज मोरा।।५।।

 

 सेती हे सुंदर संस्कार

टुरु  जासेत घरंघरं

टिका देनआशिष लेन

जिवन को सद,भाव खरा।।६।।

✍️वाय.सी चौधरी

गोंदिया

8. भारतीय सण  - " पोरा "

             आम्हीं काश्तकार भाई , नाहाय  महाल  माड़ी  !

पोरा को  सण से भारी  , पूज्  सेज्  बैलजोड़ी  !!

 

बैलजोड़ी   पर   निर्भर , आमरी   जिंदगानी  !

सुंदर  सिंग -सिंगोटी  की ,  रव्ह्  से  बैलजोड़ी !

पोरा   ला   घर्   बनाव्   सेजन ,    पुरणरोटी  !

जोड़ी  को  भरोसो लक , खासेज्   पुरणपोळी !!

 

पोरा को  दिवस  , आन्  सेजन  खेत लक माटी  !

पूजा  साती  बनाव्  सेजन , माटी की  बैलजोड़ी !

खूट  पर   बिराज्  से  , नांदया वाली  बैलजोड़ी  !

जोड़ी   को   भरोसो लक , खासेज्   पुरणपोळी !!

 

सजाव्   सेज्  बेगड़  लक , जोड़ी  की  सिंगोटी  !

रंगीबेरंगी  रंगों लक , सजाव्  सेज्   बैलजोड़ी  !

पोरा को सण ला , गाैरव  पाव्  सेती  बैलजोड़ी  !

जोड़ी  को  भरोसो  लक , खासेज्   पुरणपोळी !!

 

आखर पर की तोरण मा , लिजा सेज् बैलजोड़ी !

गाँव  का  शहाना - येड़ा  , कसेती  वहाँ  झड़ती  !

तांदूर  ल्  पूजी जासेती ,  तोरण की बैलजोड़ी  !

जोड़ी को  भरोसो  लक , खासेज्   पुरणपोळी !!

 

संध्याकाळी जोड़ी का पाय ,लग् सेती आई माई  !

बैलजोड़ी ला  ठाव भी  , मंडाव्  सेती आई माई  !

भक्तिभाव ल् पोरा ला ,पूजी जासे बैलजोड़ी !    

जोड़ी   को   भरोसो लक ,  खासेज्  पुरणपोळी !!                              

                                     🖍  इतिहासकार

 प्राचार्य ओ.सी.पटले रवि. 16/08/2020.       

9. पोरा को बालगीत

(चाल:- लकडीकी काठी, काठी...)

 

आंगणमा खुट

खुट से नवा

नवो नवो खुटला

बांदिसे दावा

 

दावाकी खुळी

बहुत से सईल

दावाक् शेंडाला

बांदी से बईल

 

बईलक् गरामा

चमकदार खुळी

चमकदार खुळीला

मनका की जोडी

 

सादो सुदो उभो

शिंगऱ्या मोरो बईल

बईलक् पाठपरा

शोभा देसे झुल

 

झुलक् शेलाला

जरीकी धडी

जरीक् धडीलका

शोभ् बईल जोडी

 

बईलकी शिंगोटी

नाना रंग रंगोटी

शिंगोटी ला देखुसुत्

होसे खुशी मोठी

 

रंगोटीला लगसे

बहुत सारो रंग

बहुतसार् रंगलका

शोभा देसे शिंग

 

चमकदार शिंग

शिंगला बेगड रंग

शिंगक् दरमा

शोभसे चौरंग

 

बहुत खुशीको

बईल सण पोरा

पोराक् दिवस

बईल को तोरा

 

पोराक् दिवस

बईल की पुजा

बईलक् पुजासंग

पाहुणचार की मज्या

 

मस्त पाहुणचार

भात भाजी दार

दार क संगमा

तुपकी धार

 

सिर्फ एक दिस

भेटसे आराम

सालभर राबसे

कर सदा काम

 

असो  सण पोरा

बईलको थाट

सालभर राबकन

देख पोराकी बाट

डॉ. शेखराम परसराम येळेकर नागपूर दि. १६/८/२०२०

10. पोरा को सन तिहार

मालवा धारानगरी लक इत आया आमी क्षत्रिय पँवार 

 

माय वैनगंगा को आंचल मा किया साजरी खेती को विस्तार

 

खेती किसानी को काम लक भयो आमरो जीवन खुशहाल

 

आमरो जीवन मा पल पल से खेती किसानी को तिहार

 

राखी को सात दिवस बाद आवसे घर आमरो क़ानूबा देव

 

ओको आठवो रोज आवसे आमरो  प्रिय पोरा को सन तिहार

 

खेती को सहयोगी बयिल जोड़ी की पूजा को से योव तिहार

 

उनको साजरा रंगरोगन को संग मा होसे बेगड़ को श्रंगार

 

सुवारी, बड़ा न करंजी को पाहुंचार परसा की पत्तल मा जेवायकर

 

घर पाय लगकर आखर कन जासेत न होसे उनको लाढ दुलार

 

झड़ती गावन को संग होसे जोड़ी छूटन को  यौ अनिकच रिवाज

 

सज्या धज्या आमरा प्रिय बयिल को होसे घर मा सत्कार

 

मेल मिलावान न आशीष लेवन को से यो आमरो पोरा तिहार

बिंदु बिसेन

       नागपुर

11. पोरा

आयव सण आता पोरा,

बैलजोड़ी नोको ठेवो कोनी बी कोरा ll

 

आखर पर लम्बी तोरण दोरी,

बईलजोड़ी लागवो वोरी वोरी ll

 

बेगड़ लागवो, सिंगोटी ला सजावो,

बहुत सारो रंग लगावो ll

 

पूजा पाठ कर तिलक लागवो,

जोर जोर लक झडती गावो ll

 

खेत लक वोली माती आनो,

बईल जोड़ी संग डोंग बनावो ll

 

कूड़ो की या महू की पतराली बनावो,

बैलजोड़ी ला ठाव मंडावो ll

 

लहान मोठा आज सबला टिका लागवो,

काही रुपया आज खूब कमावो ll

 

जय राम जी की सबला बोलो,

आशिर्वाद सबको लेवो ll

 

मन का विकार पल मा मिटावो,

पोवारी को अलौकिक त्यौहार मानावो ll

प्रा.डॉ. हरगोविंद चिखलु टेंभरे

मु पो दासगाँव ता जि गोंदिया, मो ९६७३१७८४२४

12. पोरा

आयो,  आयो  पोरा  सन त्योहार।

बैलजोडी को करो जी, अंवघर।।

 

अज मनाओ आखर पर मोहबैल।

कांजी पिलाओ, पिवरी खांद हरद।।

 

सकारी सजाओ बैलजोडी घंटी घोलर।

बिराजे सिंग पर रंगीन बेगड चवर।।

 

किसानी काम आमरो जग मसहूर।

खेती काम अधर बैलजोडी बिगूर।।

 

पोरा तलक चल पराह लगावन।

विश्रांती म्हणून त्योहार मनावन।।

 

कोटवार आखर पर तोरन बांधे ।

किसान बैलजोडी तोरन खाल्या धरे।।

 

लहान सहान सबच होसेत हाजर।

दस्तुर निभावत झडती को गजर।।

 

सिवारी बडा को पकवान मशहूर।

कुलदैवत ला नैवध बैलजोडी पाहूचार।।

 

लहान मोठा देत एक दूसरो ला मान।

चावूर को टिका देत घरन घर।।

 

उत्साह उमंग ल् त्योहार मनावत।

खाशी खोकला घेऊन जायगे मारबत।।

 

जय राजा भोज, जय गडकालिका माय ला नमन!

सी. एच. पटले

गोपाल नगर नागपूर ।मो. 7588748606

13. पोरा

आयेव आयेव सण पोरा

सजावबीन आम्ही गोर्हा

 

नदीपरा बईल लीजाबीन

बइल को आंग धोवबीन

रंग रंग लका रंगावबीन

बढिया सुंदर सजावबीन।।

 

झीलम,सींगोटी लगावबीन

पुस्टीला सुंदर करबीन

चौरंग, बेगळ लगावबीन

बईलला टीका लगावबीन।।

 

पुरण रोटी चरावबीन

आखरपरा लीजावबीन

बईल आमरो उमदा दीसे

पोराको सण मस्त हासे।।

 

किसान को संगी साजरो

पोरा सण बईल को आमरो

एक दिवस इसामा देबीन

बईल ला गोडधोड चरावबीन।।

 

बलीराजा को संगी खास

जींदगीभर झीजावसे आपली पाठ

तरी नही सोड कधीच

आपलो मेहनत की बाट।।

 

पुजा करके आरती ओवारबीन

पाय धोयके तांदुर टीका लगावबीन

कोरो टोपली मा केराको पानमा

तरणपुरण को पाहुनचार खवावबीन।।

वर्षा पटले रहांगडाले

          14. पोरा

सरतो श्रावनला पिठोरी अमावसला आवंसे सण पोरा

किसान को दैवत सर्जाराजा को आज से मोठो  तोरा ll

 

मोहबैल को दिवस चरावंसेत मही हरद तुरटी को खडा

बैल पूजसेत ओटी भरं सेत अन लगावं सेती टिरा ll

 

पोरा को दिवस  बैल धोवसेत घडं सेत आडबैल को जोड़ा

बेगड़ शिंगला मटाटी मस्तकला अन रंग का छापा आँगपरा ll

कंठमा कवडी की मार बेलपती को हार सजेव सुंदर गोंडा

झूल तनपर गरोमा घोलर अन चौरंग शोभसे शिंग परा ll

 

ढोल-सनई संग गांवको आखरपर बैल कर सेत खड़ा ll

कवसेत झडती तुटसे तोरण  अन फुटं से बैलपोरा ll

 

बैलजोड़ी घर आवसे कांता पूजा करसे पत्रालीमा देसे 

करंजी बडा ll

धनी को माथा पर टिका लगावसे अन देसे वा बोजारा ll

 

पाय लगन जासेत टुरा पोटा बहुत घरनघर बड़ा

मारबतला पूजसेत आडबैल अन भरावसेत तानापोरा ll

                                               शारदा चौधरी

                                                    भंडारा

पोवारों की शान : नगरधन किला

 

 

 

 

 

 

 

 

 

15. पोरा

अमावस्या श्रावण महीनाकी,

 आनसे पोरा को सनला,

 काश्तकार बंधु खुशी लका सजवसेत बैल ला///१//

 

बैल नालापरा धोयके आणसेती,

हलदि अना तेल उ नको खांदा पर लगाव सेती,

बैलयीन जो काम करीन उ मन को मन याद कर सेती ///२//

 

शिंग रंगावसेत धनी, बेगड लगावसेती शिंगला,

बांधो चौरंग सुंदर गरो मा घोलर की माला ///३//

 

आंगपरा पाघरसेती झलम सुंदर नक्षी की एक कवड़ी आरसा शोभा बडावसे बैल की ///४//

 

बैल सजेव धजेव ओला पोरा को तोरण मा उभो करिन,

पोरा भड़केपरा ओला लीजाइन,

 घर बैल की मालकिन पूजा बैल की करसे,

 भावभक्ति लका ओकी आरती ओवाडसे//५//

 

काश्तकार बंधु सूपडो मा करंजी बड़ा चारावसे,

देवा मजा नहीं आव बैल शिवाय खेतीला,

 नहीं मिल सुगंध कष्ट सिवाय माती ला///६///

मुकुंद रहांगडाले

 दत्त वाडी नागपूर

16. दोस्ती को सन तिहार: पोरा

मी बईल मोरों काई नहाय कोई नाव

जित कन फांदो उत आमला जावनों से

 

जसो धंधा मिले वसो काम करनो से

मी न मोरो से अखिन इक जोड़ीदार

 

मालिक न मालकिन सेत गरीब किसान

दिन रात करसेत आमी खेती को काम

 

परहा सरयो आता से थोड़ो आराम

अज को रोज से रोजलक थोडो अलग

 

सब झन पेहरि सेत नवा नवा कपड़ा

आमरी होय रही से अज साजरी सफाई

 

कोनी काम नहीं देई सेत आब वरि

हमला नवरदेव बनाय रही सेत अज

 

बड़ा साजरा सजाय देईन आमला

गरीबी से पर खवाय रही सेत पकवान

 

देवता वानी आमरा लगी सेत पांव

अज आखर मा सप्पा दोस्त लक मिलया

 

घर आया त बढ़ो भयो आमरो सम्मान

एतरो प्यार मिलयो न साजरो पकवान

 

सप्पा थकान मिटी न आयो नवो जोश

मोरों साथी ल पूछ्यो काजक होतो अज

 

वोन कहिस एतरो भी नहीं से तोला भान

अज से मित्र बइल को सम्मान को दिवस

 

 

येला कसेत सबको प्रिय पोला को तिहार

किसान न बईल की दोस्ती को सन तिहार

ऋषि बिसेन

नागपुर


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