Monday, August 17, 2020

पोवारी चारोली

 

पोवारी चारोली

आई असी शिदोरी से

वा कभी सर नही

वोको मांडी परको सुख

इतऊत कहीं मिल नही

 

मायबोली आमरी पोवारी

से सौंदर्य की मोठी खान

नोको बिसरो कोनी पोवारीला

ठेवो जरासो आता भान

वर्षा

भान ठेवबीन जरूर

बोली कं संवर्धनसाटी

एक एक पीढी जगे

सुंदर भविष्य आये हाती

✍️रणदीप बिसने

 

सुंदर तं से पोवारीमाय

लेकरं तं रहेती सुंदर

मायबोली को

 

पोवारी माय का टुरुपोटू

उभा होय गया सेत कंबर कसकर

सब जुड गया सेत वोको उत्थान साठी

आपलो आपलो परी लक

✍️सौ श्रुति टेंभरे बघेले

 

सुंदर सुंदर बिचार

आवन दे भाऊ.

पोवारी बोलनला

नोको सरमाऊ.

 

✍️ चिरंजीव

 

सुंदर तं से मायबोली

वको गावबीन महिमा

अनथक अविरत खास

प्रचार करबीन समाजमां....

 

करया सेजन पिवर किसानी,

नही करया कोणी की गुलामी।

झुर-झुर झुर से दिल मनमानी,

पोवारी को उत्थान ला देंनो से सलामी।

 

सरम लगे चोरला

करम करू जोरला

बोली सुरक्षा साटी

कमर कसबी दोराना

 

 

लिखो पोवारी त्यागो पवारी,

करो वीर तुम्ही शेर की सवारी।

राजाभोज की बात से न्यारी,

पोवार का टुरु सेत सब पर भारी।

 

प-हा लगावन जासे

धरकर डोईवर मो-या.

चावुर मोजनला पायजे

पाव, पायली नहीत् सो-या.

 

असो कसो रेे कान्हा तू नटखट

सखा संग माखन चोरसेस पटपट।।

गाई भी बंसरी आयकर आवसेत झटपट

गोपिसंग रास रचावसेस यमुना को तटपर।।

🌷सौ छाया पारधी

 

 

पोवार इनका टुरू बी आता,

लिख्या पढ्या सेती सब.

बन गया इंजीनियर, डॉक्टर,

पीएचडी., अधिकारी सब.

 

तोरो बांसुरी की धुन कान्हा

गाईला भी फुटसे मंग पान्हा

दूध की गंगा बोहसे गोकूलमा

रंग जासेत नर नारी तोरो रंगमा

 

भयी सकार गयो बण्डी धरसार,

भरेव मोड़ा देयेव पूंजना उल्हार।

आई शिदोरी सोडेव भर दावन,

असा गया दिवस मोरा पावन।

 

तनिस को बंडिपर पर बसनला

संगी संग मजा आवत  होती भारी।।

उट पर बसेसारखो डोलत होती सवारी

साजरा बस्या नहींत अजी देत होता गारी।।

 

तरा क् पार पर

आंबा को झाड.

टुरू मारसेत् गोटा

बद बद पडसेत् पाड.

 

जन्म लक पोवार कर्म लक पोवार

काहे लेबिन पवार नाव उधार।

जाग गया बंधु भया लेखनी पर सवार

देखायदेव उनला जो समझसेत गवार।।

✍️छाया पारधी

 

दिल मा लगी से आग,

मायबोली को उत्थान की !

लहर आयी से आता,

युवाशक्ति को उत्साह की !

असंभव भी संभव

होये युवाशक्ति को आगे,

साहित्य गगन मा ध्वजा

पोवारी की लहराए !!

             ✍️ इतिहासकार

         प्राचार्य ओ.सी.पटले

 

सोपी आम्हरी बोली अशी

बोलबिन नहीतं आय कशी।।

परंपरा आम्हरी नोको सोड़ो

घरमा पोवारी बोली बोलो

✍️वाय सी चौधरी

बैनगंगा मा सेजन आम्ही ख़ास।

पुरातन मा आमरो धार निवास,

चल रह्या सेती नित नवा प्रयास,

समाज विकास की से सबला आस।

 

पोवारी पोवारको  संस्कृती आय

मूल्य ना संस्कार की खेती आय

विनयशिलता वला शोभा देसे

चलत रवनो पोवारोंकी शान आय

डॉ. शेखराम परसराम येळेकर

 

ऊसमा  रव्हसे साखर जबवरी गीरणीमा पीळ नही

दुध मा से घिव पर रही क घुसरे शिवाय मिळ नही

कळीमा   से फुल पर   जबलक   कळी  खुळ नही

देव नही दिस जबवरी आध्यात्मिक धागा पीळ नही

✍️डी पी राहांगडाले

मायबोली मा से बडी मीठास

मधुर अमृतरस  को से सहवास

पोवारी बोलो अशी से मोरी आस

रुतबा से पोवारी भाषा को खास

✍️सौ.शारदा चौधरी

पोवारी भाषा की अजब से शान

सब मिलके देबी येला मान

पोवार को करबीन दुनिया मा नाम

पोवारी भाषा से पोवार की पहचान

✍️कु. कल्याणी पटले

उगतो सूरज ला नमस्कार

मायबोली मा बोलनो मिठो स्वर

मायबोली मा लिखनो अमर

पोवारी क् सबआंग होये गजर।।

                              आपलो पोवार समाज पिरमी

                                                                                ✍️ सी एच पटले

मी यशोदा को नटखट कान्हा

बंसरी को धून पर राधा तू नाच ना

रुणझुण बजसेती तोरी पैंजनिया

भय गयी सेव मी तोरो दिवाना

            ✍️शारदा चौधरी

प्रयास आमरा सफल होयेत

नवी पिढी को जोशलका

पोवारी को होये उत्कर्ष

नवो उद्देश अना ध्यास लका

 

दिवाना सेस तु मोरो कान्हा

मी बी सेव रे तोरी प्रित बावरी

मधुर,सुंदर बजसे कान्हा

भजाव रे मनभावन बासरी

सौ.वर्षा

धार आमरी नगरी पुरानी खास

वैनगंगा मा से वर्तमान निवास

पोवारी  टिकावणं  को लगी से ध्यास

मुन चल राह्य सेती सबका प्रयास

                          ✍️शारदा चौधरी

सुख दुख को चौकटपरा

आयुष्य उभो रव्हसे

माणूस आपलो सुख को शोधमा

वणवण भटकत नुसतो रव्हसे

वर्षा

सुरज की किरण जासेत जहावरी

मायबोली की गुंज पहूचे वहावरी

मायबोली पोवारी से मिठासभरी

गजर होये वोको देश-विदेश वरी

          ✍️ शारदा चौधरी

सात समुद्र को पार

आमरो मायबोली को गुणगान होये

सारो जम मा पोवारी की

सुंदर जयजयकार होये

 

वर्षा

 

 

 

मी आव पोवार की बेटी

सेव मोठी मी घरंदाज

नही लगत कोणी मोरो रुतबाला

मोरो जात पर से मोला नाज

         ✍️शारदा चौधरी

 

पंछी को किलबिलल होसे दिन की सुरवात

पोवारी को गुनगुना मा बित जासे ती दिन रात

राजा भोज की प्रतिमा से मन मा

पोवारी को उत्थान करबिन जीवन मा

 ✍️कु. कल्याणी पटले

गौरव बढ़े पोवार वंशको ,

असो  करबिन  काम ।

नाव  फैले पोवार वंशको ,

असो बढावबीन मान ।

✍️महेन पटले

मान बढे,शान बढे

पोवारी को दर्जा बढे

नवी पीढी पूर्वजइनको

सामने चलके अनुकरण करे

वर्षा

पक्षी करेती जबजब किलबिल

पोवारी गुनगुनाये हरएक दिल

राजाभोज की मूर्ती बसे गांव गांव मा

पोवारी को विकास करबन सब मिल

✍️सौ.शारदा चौधरी

पूर्वजइनको गावं सेजन गुणगान

उनको लक बढ़ी से आमरी शान

उनको पदचिह्न पर चलस्यान

पोवारी को बढाबन आम्ही सम्मान

✍️ शारदा चौधरी

 

पक्षी भी गान बस्या गीत

पोवारी को गुनगाण का

मायबोली को असो ध्वज लहरायव

की सब एकटक देखत बस्या

✍️श्रुति

बारिश में भयेव वर्षा को जनम

कविता चारोली से वोको करम

कलम चलावसे येतरी तेज

का हवा  ला भी लग जासे शरम

 

आईं बाई व्यस्त होती काममा

मजा बहुत आवसे जुगलबंदीमा

नवीन सदस्यों को स्वागत से

येन आमरो उत्कर्ष समुहमा

✍️छाया

बारिश में भयेव वर्षा को जनम

कविता चारोली से वोको करम

कलम चलावसे येतरी तेज

का हवा  ला भी लग जासे शरम

       ✍️शारदा चौधरी

खेती माबी सेजन तरबेज

युद्ध कला मा पारंगत

राजा रजवाडा संग होती

आमरो पूर्वज की संगत

वर्षा

ग्रुप को सब बहिन भाईनंला

 मोठो प्यार अना सम्मान मा

 स्वतंत्रता दिन की शुभकामना

 देसु एक दिन पयले एडवांस मा

       ✍️शारदा चौधरी


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