पोवारी उत्कर्ष समूह द्वारा आयोजित
बालकविता स्पर्धा २१
आयोजक: सौ छाया सुरेंद्र पारधी
तितली
टिनू मिनू एकगन् गया बगिचा मां
देखस्यान् दृश्य खूश भया मनमां
अलग अलग रंग का फुल न्यारा
बसत होता पाखरू वु फुलपरा
हिरवा हिरवा होता वंज्या नजराणा
टिनू मिनू को बी खुश होतो बाणा
टिनू भाऊ कवन् बसेव तितली ला
चलसेस का आमरो संग रवनला
तितली कसे कसी देखो मानवजाती
तुमरो संग बनृ जावू मी फक्त पोटसाती
फुलमाको लेसू मी केवल थोडसो रस
तुमी त् चुस लेसेव पुरो सोमरस
रहु तुमरो संग त् बन जावू मी लालची
रवन देवो अलगच नही सेव् मी आलसी
रंगबेरंगी फुल अना फुलपाखरू
देय् गया सिख जसा कल्पतरू
शाश्वत उत्तर तितली की ठेवबी स्मरण
निर्मल जीवन सिद्ध होये याच अवतरण
रणदीप बिसने
तितली
चित्रकाव्य (बाबुल का ए घर बहना)
तितली बाई तितली बाई नोकों करु घाई
आमी आया खेलनला आमर संग खेल बाई//धृ //
मोनु ना सोनु आया बाई तोरसंग खेलनला
आमर संग खेलो बाई खुशी होय सबला
एनओन झाऴपरा परानकी नोको करो घाई //१//
पंख तुमरा बाई सेती लाल हिरवा ना पिवरा
लगसेती केतरा सुंदर जसा आकाश का तारा
चन्द्रमा चकोर ज़सी लगी ओकी तुमी बहनाई//२//
सोनु मोनु धावन बस्या तीतली धरनसाती
बगीचा भर फि-या तीतली नही लगी हाती
हासन लगी तितली बाई उळानकी मजा आयी//३//
तितली बोलन बसी तुमरी बेकार मानव जाती
एकमेक का पाय खिचो दिससेव मोठा घाती
कब का कर डाको तुमी तुमरो भरोसो नही //४//
एनओन फुलपरा ऊऴनकी मजा आवसे न्यारी
लेसेजन फुलको रस आमी नही करजन मुजोरी
एकमाच खेलसेजन आमरो मनमुटाव नही //५//
सब या मानव जाती रहो तुमी हिलमिलकर
खुशी होय सबला होय सुखी तुमरो संसार
कसी रव्हसेती तीतली गुण उनका धरो काही //६//
डी पी राहांगडाले
गोंदिया
चमत्कार
लहान टुरा पुरी बगिचामा आय
सुंदर तितली देखशान खुश भया।।
फुल रंगिबेरंगी हवालं झुल
धरन जाण तितली त वा उड़।।
उडता उडता पंख हलाव छान
देखं इतन उतन फिरावं मान।।
निसर्गमा देखो नवा चमत्कार
लहान लहान तितली की भरमार।।
तितली तितली खेलं मोरं संग
रव्हता पंख त उड़ती तोरं संग।।
वाय सी चौधरी
गोंदिया
भाई बहिण
बगीचा मा फिरन गया भाई बहिण,
देख सेती वहॉ से का काही नविन.
सुंदर सुंदर फूल फुल्या सेती वहॉ,
हिरवो गालिचा बी बिछेव से वहॉ.
उडाय रही से वहॉ पिवरी फिफोली,
भाई बहिणला ललचावसे करसे ठिठोली.
जवर आवसे पर हात मा नही आव,
परेशान सेती दुही जन देखके वोको भाव.
गुलमोहर को झाड से महेंदी को कुंपण,
भाई बहिणला पसंद से निलो निलो गगन.
बगीचा मा फिरकर दुही बहुत खुश भया,
मस्त खेलकर वोय घर वापस आया.
- चिरंजीव बिसेन
गोंदिया
फिपोली
(चाल: सई माया सजनीले...)
रंगीबिरंगी फिपोली से
नट्टा पट्टा मखमली से
फुल सरिखी कोमल कोमल
पंखलका चमकिली से ॥१॥
स्वर्ग की अप्सरा
इतरा से कर नखरा
आंग भी कोमल नरम नरम
जसी बोर मा की इल्ली से ॥२॥
रूपमा अजिंठा लेणी
डोई पर दूय बेनी
इठलासे मस्तीमा डुबी
सुंदर छैल छबिली से ॥३॥
झाळ फुल पर सदा बसं
मिठो मिठो रस चुस्ं
लाड़ चुंबन लेय लेव असी
नन्ही सी छकुली से ॥४॥
डोरा चंचल सितारा
पंखइन को पसारा
जहां जाये वहां धाऊ मंघ्ं मंघ्ं
जादूगरनी हठीली से ॥५॥
बादरमा उड़ जासे
हिरदामा भीड़ जासे
धरनला जासू हात नही आवं
'हसीना' या मतवाली से ॥६॥
हमेशा उड़ान लगाव्ं से
कोनको मंघ्ं या धावं से
पान फुल पर कबं बस जाये
जसी नटखट नार नवेली से ॥७॥
हर दिल येको दिवाना
दिवो की या परवाना
इद्रधनुष सी फिपोली देखके
दुनिया सारी भुली से ॥८॥
हवामा गोता लगाव्ं से
हरीयाली वोला भावं से
नहान मोठा सबकी पसंद या
रंगबिरंगी तितली से ॥९॥
डॉ. प्रल्हाद रघुनाथ हरिणखेडे "प्रहरी"
उलवे, नवी मुंबई
मो. ९८६९९९३९०७
बगीचा
बगीचा मा रव्हसे पक्षि इन को घर,
उनको बिना नही लग बगीचा सुंदर।
लहान मोठा अनेकों झाड़ सेती यहाँ,
झाड पर कावरा-सिमनी होसेती जमा।
रंगबिरंगा फूल लक बगीचा महकसे,
तितली रानी यहाँ आपलो परिवार संग रव्हसे।
लहान-मोठा टुरु यहाँ आवसेत खेलनला ,
बहुतसा झूला सेत उनला झुलनला।
पक्षी की चिवचिवाहट लग से जबरदस्त,
यहाँ आयकर मन सबको होय जासे मस्त।
मन कव्हसे चल बच्चा बन जाबी,
सब संग बगीचा मा धूम मचावबी ।
स्वाती कटरे तुरकर
फुलपाखरू
फुलपाखरू बगीचामा झुलंसेस झुला
रंगबिरंगी सुरेख रंग कोण देईस तोला
कभी गवत कभी फुलपर मंडरासेस
मधु रसपान करके गुणगुण करसेस
धुरळ लगंसे हातमा स्पर्श करेपर पंखला
मोहीत भयेव मन देखके तोरो रूप मनोहर
लगंसे देखके सूंदर रंग टीप लेवू भरभर
येनं बात पर हामी नही भरनकोस मोला
बारीकबारीक डोरा तोरा करंसेत लुकलूक
पंखपर गोल नक्षी सुरेख शोभंसें नाजूक
जीवन सें तोरो बडो स्वच्छंदी रंगीला
नजर मोरी ठहर जासे मखमली पंखपर
निळा जांभळा वस्त्र टाकंसें भ्रमण पानपर
केतरी कोशीश करुसू मी धरनकी तोला
रेशमी मलमल सी तोरी सें कांती
खुलं सें रंग तोरो इंद्रधनुष्य को भांती
भिरभिरके धूम मचाय देसेस जीवला
खेलबन का चल लपाछपी आपण
रंगबं खेलमा मस्त गुंग होयके दुहीजण
जीवन जगन की सांग मोला तू कला
शारदा चौधरी
भंडारा
तितली रानी
प्यारी न्यारी तितली रानी से बड़ी सयानी !
मोरी सयानी माय सान्गसे येकी कहानी !!
भई शकार बेरा से जावन को आता बाग !
छोड़ो खाट सब आता चल जाओ जाग !!
चल गा छोटी नहानसी पप्पी अना गुढ्या !
हाकल त कित कन से आमरो मोठो बड्या !!
केतरी साजरी न्यारी से प्यारी तितली रानी !
देसे ख़ुशी सदा या कसे मोरी माय सयानी !!
सबउजा फूल मा बसीसेत प्यारी तितली !
दिवस को उजाड़ो मा सोईसेत सब गीद्ली !!
आनबिन आमी माय लाइ पुजा का फूल !
होयजाय पुरो जब हमरो खेल झूला झुल!!
धरती माय की येव बगिया खूब से सजी !
पढ़न को भयी बेरा हाकल रही सेत अजी !!
जाय रही सेजन घरह प्यारी तितली रानी !
शकारी आयकर अखिन खेलबीन मनमानी !!
ऋषि बिसेन
ग्राम : खामघाट(बालाघाट)
तितली
रंगबी रंग का फुल खिलया
सेती यण बागिया मा|
लाल, हिरवो,अन् गुलाबी
पिवळ, जांबडो,अन् नारंगी|
सुंदर मन मोहक से नजारा
जसो बचपन से सब लो प्यारा|
मधुर गीत गाव से ती
सखा अन् सखी|
नाय उनला कोंसो दुनिया को भेव
मस्त उड सेती फुल - पाखरू सारखं|
जीवन से उन को फुल पाखरूसारखो|
कभी येणं बगिया मा,
त कभी ओन बागिय मा|
महणुंच कसे ती, बाल पण देगा|
देवा ज सो मुंगी साखर, रवा|
Chandrkumar sharnagat
Hero Moto corp Gurgaon
(हिरो होंडा)
फीफोली
फीफोली बाई सांग भला
कायला सेस तु उदास
सांग आमला सांग आमला
तोला कायको से तरास
रंगबिरंगी पंख देख
लगसे सेस रंग की धनी
तोरो रंगला नोखके
नाव ठेईन का कोनी
सुंदर सुंदर फुलपरा बसके
करसेस तु रसपान
तरीबी उदासी भरेव
करसेस कायला गाण
भोवरानं गुणगुणायके
तोला सेस का चिडाईस?
का आमरो सारखो लेकरून
तोला सेस का बिचकाईस?
बगिचा खील गईसे
रंगरंगको फुलइनलका
तरी बी तोरा डोरा मंग
कायला भऱ्या सेत आसुलका
फीफोली बाई काजक से
सांग तोरो जीवला तरास
का अखीन लगावनो पडे
नवीन फुलकी आरास?
दुय दिवस को जीवन बाई
सुख दुःख से घटकाभरको
हासत खेलत रव्हबीन मस्त
बाकी काही टेन्शन नही लेनको
सौ.वर्षा पटले रहांगडाले
मु. बिरसी ता.आमगांव
जि. गोंदिया
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