पोवारी साहित्य कला व उत्कर्ष द्वारा आयोजित काव्यस्पर्धा क्र.२
विषय- अदरक
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अदरक सयपाक घर की मसाला की चीज,
प्याज लसून संग देसे स्वाद लजीज.
चाय मा बी अदरक बढावसे स्वाद,
पिवने वालो पियकर कसे 'वाह ताज'.
अदरक की खेती होसे,बाडी माबी लगावसेत,
जमीन क् अंदर जड क् रूप मा लगसेत.
अदरक का पाना बी आवसेत काम मा,
अकस्या बनसेत उनका अच्छा स्वाद मा.
अदरक दवा क् बी आवसे चांगलो काम,
होय जासे जब् सर्दी, खॉसी जुकाम.
अदरक को रस, चाय ल् मिलसे आराम,
अदरक गरम होसे थंडील् बचावन को आवसे काम.
वारेव शहद की बुकनी शहद संग् खाव,
हाजमा ठीक होसे, गैस को नही रव्ह नाव.
अशी या अदरक से बहुत काम की चीज,
हमेशा घर ठेवो,कभी भी नही होय नाचीज.
रचना- चिरंजीव बिसेन
परमात्मा एक नगर,गोंदिया.
दि.२२/३/२०२०
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