काव्यस्पर्धा-2
विषय-अदरक
नहि रव अदरक को बीज
रवसे फक्त येको कंद
जमीन को अंदर को
पिवसे येव मकरंद ।।
हिवरो हिवरो पान इन का
बनसेती ताइ परा अक्सया
सर्दी-जुकाम मा करसे
अदरक सबकि रक्सया।।
टूुकडा-टूकडा वारायकन
तयार होसे महिन सोट
पक्वान मा सोडन त
मिठा -मिठा होसेत होट ।।
साक मा सोडो अदरक
बढ जासे सुंदर स्वाद
पाचन इकार ला करसे
शरीर मा लका बाद ।।
आयुर्वेद मा मोठो से
अदरक को गुणी मंत्र
कइ मोठी बेमारी को
सुदार देसे येव तंत्र ।।
पोवार बाडी मा रवसेती
अदरक कि हिवरी सारणी
सद्कर्तव्य को मार्ग पर
अदरक देसे खुसी दिन दुनी ।।
श्रीमती वंदना कटरे "राम-कमल"
गोंदिया
दि. २२/०३/२०२०
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