Thursday, March 19, 2020

मंहगाई लक कविता

अवो माय वो माय  गजब की से महंगाई 
अवो माय वो माय  गजब की से महंगाई  ।।

गाइ - बइल को भाव मा अता 
बिकन  लगिन बकरा-  छेरी 
चाह  माहंगी  भेली  माहंगी 
माहंगी  पान, अना  सुपारी 
पुस्तक माहंगी ,पाटी माहंगी 
अता कसो  ले  होये  पढ़ाई ।।

अवो माय वो माय  गजब की से महंगाई 
अवो माय वो माय  गजब की से महंगाई  ।। 

- पंकज टेंभरे "जुगनू" 

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