Monday, March 30, 2020

काव्यस्पर्धा क्र. 3 "जातो"- वंदना कटरे "राम-कमल" गोंदिया


विषय- जातो

मानव बुद्धी को चमत्कार
भयव जातो को जनम
एक गोल चपटो गोटा
रवसे दुसरो पर मगन ।।

वरतो गोटाला एक दांड
अन मंझारमा रव छेद
महिन पीठ दरनसाठी
नहि समज उ काहि भेद ।।

घरोघरकि  बहु  बैदी
रात-दिवस राबत
झुंझुरकाच उठस्यान
जातो परा दरण दरत ।।

हिरदामाकि भावनाला
गानो मा पिरावत
मेहनत, विश्वास लक
जातो कि खुटी घुमावत ।।

गरगर आवाज लक
सुगम संगीत सुरू
"भगवान "चोव जातोमा
हिरदा को मोठो गुरू ।।

आई-माई को कष्टला बि
जातो देत होतो मान
दार, गहु, चाउर दरन
जातो च समालत कमान ।।

आता चक्की ला महत्व
विज्ञान को आय करम
निःस्वार्थ सेवा करनो
जातो को आय धरम ।।


वंदना कटरे "राम-कमल"
गोंदिया
29/03/2020

No comments:

Post a Comment

कृष्ण अना गोपी

मी बी राधा बन जाऊ बंसी बजय्या, रास रचय्या गोकुलको कन्हैया लाडको नटखट नंदलाल देखो माखनचोर नाव से यको!!१!! मधुर तोरो बंसीकी तान भू...