सूर्य देखो सोनो को रथपर सवार
उतर रही से धरती को आंगन मा।
कण कण जाग रही से धरती पर
देखो नवसंजीवन को स्वागत मा।।
चिमनी पाखरू की मधुर ध्वनि
बगीचा मा फूलकी हासती कमान।
दुनिया होती आबवरी शांत निशब्द
सब तिरीप को संग भया सजुमान।।
धीरू धीरू आता दुनिया गतिमान
समय चक्का फिरेव तिरीप भई जवान।।
तेज चांदी को आयेव तिरिप को तोंडपरा
झवराय गया धरती का सब वान।।
गाय, बैईल सब सुस्तान आया कोठामा
तपनको झर्राटा फूलइनं सोडिस आंग।।
पशु पक्षी की दमछाक भई तपन लका
पाणी नहीं मिल कही, गरोमा लगी आग।।
माणूस लुकायेव आपलो आपलो घरमा
परसा,गुलमोहर सजी से तपनमा लाल।
सबला आता से बीरानी बेरा की आस
तपन होए थोड़ी बूढ़ी सावोली बने ढाल।।
✍️✍️सौ. छाया सुरेंद्र पारधी.
No comments:
Post a Comment