कोरोनामुळ् लॉकडाऊन भय गईसे देशभर,
बंद से जानो आवनो सब सेती आपल् घर्।
कमावनला जे गया होता रह्य गया लटकस्यार,
घरवाला करसेत चिंता आपल् घर बसस्यार्।
रेल,बस,हवाई जहाज सब सेती आब् बंद,
घरमाच् रव्हनो पडसे गयेव घुमन फिरन को आनंद।
जरूरत पड़ी त् भेव भेव लच् पडसे जानो,
पुलीसवाला नहीं भेट्या तरी भेट सकसे कोरोनो।
मिलनो-जुलनो, पाहुणापई भी भय गया बंद,
आपुन बी घरमाच् सेज कोनीघर जानको से प्रतिबंध।
खेती बाड़ी क् कामसाती नहीं भेटत मंजूर,
सब काम आपल् लाच करनो पडसे हुजूर।
सब दून जादा बिह्या वालों इनपर पडीसे असर,
बिह्या की तारीख काढेव क् बादमा नहीं करत अमल।
बिह्या कब होये येको नाहाय अता पता,
लाॅकडाऊन खुलन की देख रह्या सेत रस्ता।
जीनका बिह्या जम्या नाहात उनन कर देईन कैंसल,
सामने साल् करबीन भाऊ नाहाय काही टेंशन।
टुरा- टुरी परेशान अनखी एक साल इंतजार,
का करेती कोरोना न् सबला कर देईस लाचार।
रचना- चिरंजीव बिसेन
गोंदिया
दि.२५/४/२०
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