पँवार(परमार) वंश की एक शाखा राजस्थान से जाकर पश्चिमी महाराष्ट्र में बस गयी थी और ये बाद में शिवाजी की सेना में शामिल हो गए थे. ये लोग आज मराठा पँवार के नाम से जाने जाते हैं. कुछ लेखों में यह भी पता चलता हैं की कुछ पँवार बाद में मालवा से भी इन क्षेत्रों में विस्थापित हुए थे.
मराठों के साथ इन पंवारों ने अनेक युद्ध लड़े और इन्हें धार और देवास रियासते उन्हें दी गयी थी. ये लोग 96 कुलीन क्षत्रिय समूह मराठा में शामिल हो गए थे. बाद में इनके और अन्य पँवार समूहों से कोई सांस्कृतिक सम्बन्ध नहीं रहे.
विदर्भ में पँवारो ने मराठों के साथ कई युद्धों में सहयोग किया था जिसमे निश्चित ही कई पश्चिमी महाराष्ट्र पँवार सरदार/सैनिक शामिल रहे होंगे और इस पर शोध चल रहा है कि विदर्भ के पँवार कुल में कौनसे कुर/समूह मराठा सेना में शामिल पूर्वी मराठा पँवार/पवार हो सकते हैं. सैकड़ो वर्ष पूर्व का इतिहास बिखरा हुआ हैं और कई लोग इस पर शोध कर रहे हैं.
अलग अलग क्षेत्रों में निवासरत अग्निवंशीय पंवारों में आज वैवाहिक सम्बन्ध नहीं होते परन्तु वे अनेक सामाजिक मंचो/ कार्यकर्मों में मिलते और वैचारिक आदान प्रदान करके हैं.
- ऋषि बिसेन, नागपुर
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