यादसे मोला सायनी मायकी भानी।
भानी सिवाय जेवत नोहती वा कबी।
भानी की याद आब बी से ताजी।
एकच भानी मा जेवत होता आमी।।
अजी बी आलनी परा मंडावत भानी।
निगरा परा जनावत अग्नि पहलो मानी।।
बीह्यामा बेटी को पायधोवन कासो की भानी।
पूर्वाजला बिरणी टाकणं कासोकी बटकी।।
कासो पितर की भानी अना टमान भारी।
भरता की गिलास ना रवत होती अत्तरदानी।।
आता सब कसार को दुकान की भई शान।
मोड़ मा गई भानी अना मोठा मोठा गंगार।।
- सौ. छाया सुरेंद्र पारधी
Shi kyat .....
ReplyDeleteबढ़िया लिख्या सेव
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