साक्षात गंगा समाई से
जेन हात न बनाइस गंगार
वोको हातकी भी वाहवाही से
माती को बनेव गंगार
शीतलता वोको गुन से
उन्हारो मा मस्त ठंडो पानी
हातपाय धोवनोमा सुख से
बड़ो काम को येव गंगार
धोवो ऐको पाणी लक आंग
आंदी की बाई पानिमा देखकर
भरत होती लाल कुकु की भांग
पोवार को बिह्यामा मान गंगारला
मथनी, गंगार रवसे कुंभार को बानमा
नवरी सार होसे,ना बहु घर आवसे
नांदळ को दिवो ठंडो करसेती गंगारमा
आता ईट सीमेंट को जंगलमा
गंगार भी कही दवड़ गयेव
पक्षी को पानी पिवन को साधन
आता भूतकाल किं याद भयेव
✍️-सौ. छाया सुरेंद्र पारधी.
Khupch Chan.....
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