पोटमा से गोला, तोरो मोरो ।। ध्रु।।
नोको रोऊ असी? का कहेत सकी
जिनगी से कसी, मोरी सोना ।।१।।
रोज पिवसेव् दारू?आता कसी करू
रोज काहे मरू, तुमरो साती ।।२।।
दारू की लत्, करसे गत्
गयेव आता थक, मोरी सोना ।।३।।
आता फुट्या करम् ,कायको धरम्
दूर भयेव भरम् , मनमा को ।।४।।
आऊ तोरो संग् , व्यसनमुक्ती डंग्
सुटे दारू मंग्, मोरी सोना ।।५।।
मन् भयेव् खुश, बित जायेत दिस्
नई रवनकी टिस् , भविष्य की। ।।६।।
✍️- सौ. छाया सुरेंद्र पारधी
Chan....
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