(१)
जिंदगी शर्तों की मोहताज नहीं होय
दर्द होये त आवाज नहीं होय !!
सब रूसेत रूठ जायेत जमाना वाला
मोरी माय कभी नाराज नहीं होय!!
(२)
जब मोरी कलम लिखे मोरी माय
निडर बनकर सच लिखू मोरी माय!!
पोवारी सभ्यता को मान बढ़ाऊ माय।
येव लहानपन लक सीखायीस मोरी माय!!
श्रीं छागनलाल रहांगडाले, खापरखेडा .
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