(१)
बांधुन कयेव शब्द मा माय को पिरमला
शब्दमोती भी कम पड्या ओकों महतिमा
माला बनावन बसी माय को उपकार की
फूल भी हासकर बिछ गया मायको चरनमा।।
(२)
दुनिया की सबदून साजरी मूरतला देखूसु
माय तोरी ममतामयी सूरत याद आवसे।।
तोरा उपकार सेत मोरोपर अनंत कोटी
पूजामा तोरो आरती मोरो मन रोज गावसे।।
✍️सौ. छाया सुरेंद्र पारधी.
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