पँवार क्षत्रिय हैं और उनका मूल कर्तव्य क्षत्रिय धर्म का पालन करना है. क्षत्रिय धर्म के कर्तव्य शासन के साथ सभी की सुरक्षा और प्रकृति का सरंक्षण भी हैं. पँवार राजवंश के बिखराव के बाद इन क्षत्रियों ने आश्रयदाता राजाओं के साथ रक्षाभागीदारी की और कृषि कार्य आरंभ कर दिए.
नगरधन/नागपुर के पँवार योद्धाओं को वैनगंगा घाटियों के क्षेत्र दिए गए थे जहां उन्होंने उन्नत कृषि कार्य कर इस क्षेत्र को धान का कटोरा बना दिया और आज भी विश्वप्रसिद्ध किस्म का धान्य उत्पादन कर रहे हैं जिसमे चिन्नोर, जिराशंकर, लुचई आदि प्रसिद्ध हैं. इसके साथ ही उन्होंने रबी की उन्नत खेती की है.
आज का पँवार/पोवार, खेती मेँ पारम्परिक और आधुनिक दोनों ही तरीकों को अपना रहा है. जनसँख्या बढ़ने के साथ खेती की जोत का आकर छोटा होने और मजदूरों के न मिलने से अब पारम्परिक खेती थोड़ी मुश्किल जरूर हुयी है पर अपने पँवार/पोवार भाइयों ने भी आधुनिक कृषि की ओर रुख कर दिया हैं. गहानी के लिए आधुनिक मशीनों का उपयोग कर मजदूरों की समस्या का समाधान खोज लिया हैं. और पँवार भाई कृषि की हर चुनैतियों से निपट रहें हैं.
जय पंवार जय किसान
- ऋषी बिसेन नागपुर
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