Sunday, May 3, 2020

काव्यस्पर्धा क्र. 8 विषय-कास्तकार


उभो जग को पालनकर्ता
किसान से आमरो बाप
खुद खासे चटनी अना पेज
नोको लगावो कास्तकारला पाप।।

रातदिन मेहनत करसे
फाट्या कपडा टाकसे
फुटेव टुटेव घरमा रयके
सबको पोटला भरसे।।

नही आव भाव अनाज ला
अकाल भी हरसाल पडसे
डोस्कीपर हात ठेयके
आपलो नशीब ला पीटसे।।

कभी ओलो,कभी वारेव
अकाल की मार खासे
अना कभी रोगराई लका
उभो अनाज मर जासे।।

जरा ध्यान देव कास्तकारपरा
हालत वोकी थोडी सुधरावो
उच नही रहे वसुंधरापर त
तुम्ही कहाँको अनाज खावो।।

✍वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी आमगांव

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