Monday, May 25, 2020

पोवारी शब्दावली, खेती से जुडे शब्द

जैसे इंसानों के नाम होते है वैसे ही जो हमारी खेती है।वहा जो बंधिया होती है उनके भी कुछ विशिष्ट नाम होते है।
सरई = नाहनी बांधी
बड़ी बंधी =  मुंडा
लम्बी बंधी = सराळ
छोटी बंधी = टोकी
हिवरवाली बांधी
बांधी, डोबन, टोकी, 
खेदयावालो टुकड़ा, 
भालीवालो टेकरा, सरई,
 किसान पाटिल वाली बाँधी, 
गोटा वाली बाँधी, कामत,
गावखारि, परशा वाली बाँधी,
मोहतूर वाली बाँधी, खऱ्यान वाली बाँधी,

दंड की बंधी = बडी और गहरी बंधी
रीठ = गीरे हुए मकान की जगह (खुला प्लाट)
गावखारी = गांव से लगी भुमी
डिबर = मध्यम उपज वाली भुमी
कन्हार = भारी उपज वाली भुमी 
बड्डा = रेत का प्रमाण ज्यादा वाली भुमी
मोरंडी = खरिप उपज वाली जमिन

मेर = धुरो जवर की जमीन
खांड = बांधील को पानी बाहेर भगावन की जागा
मोंघाड = तरा को पानी निकलन की जागा
पाट = गल्ली को पानी जान की नाली 
खर्यान, मेळ,बंध,

जंगलों के नाम
परसाको जंगल-परसाळी
मोहुको जंगल- मोहर्यान

खेती के अवजार
हल = नागर, 
कुदाल = कुदरी,
 सब्बल = साबर
घमेला, बोरा, गाड़ा, 
बखर, तुतारी , इरा, पाठा,
सुतली, दाबन, सूपा, सितवा,
ईरोली = लहान इरा.टंग्या  टंगोली,
कुर्हाळ, बखर, खुरपसनी,
चीप, खिल्ली, कोहपर, दतार, धुर,
धुरा पावटन पावळा, कासरो, बेसन
नरा, नरोली, आरी, पात, कुदळ, कुळो, पायली

धान की गहानी से संबंधित शब्द
पुंजनो, भारो, सुरकुळा, दावन, मोळा, 
बेठ, तनीस, गुतो, लोंब, पोटरा, पोचा,
दुधभरेव, एक दांडी, भुळुक, पाझरा,
झिरपन, झिरपे, खांड, मोंगाळ, उढार,
संलगं, मुरमोंगाळ, गाळदान, पायदान, पेंडी
खेत  मे रहते का स्थान = खोपळी 
चर्हाट = लंबी रस्सी, बोरू पासून बनावत होता. गाडो मा तनीस का बेठ, धानका बोजा गाळो मा रचेव परा पडे नही पायजे म्हणून बांधन क काममा आव से. चर्हाट का बोहुत उपयोग सेती.
 ट्रक पर सामान भरेव पर पडे नही पायजे म्हणून बांधन क काममा आव से, सुतरी, तपड.

जानवरों के लिए उपयोग में लाई जाने वाली वस्तुएं

खूड़ी, बेसन, कासरा, दावा, कानदोर
सोपल कीखुळी, बैल खुर - नाल
पोराला बैलक सिंग ला बांधसेत - चौरंग
माढ़ी बईल की जोड़ी, सिंगरया बईल की जोड़ी
डोंगा = जानवरो को पानी पिलाने का लंबा साधन, जो सिमेंट,पत्थर या लकडे का बना होता है

संकलन: सौ छाया सुरेंद्र पारधी.
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नक्षत्र, बरसात संग संग संबंध

1) रोहिणी-रोयनी यन नक्षत्र मा पानी आवन की कमी संभावना रवसे .रोयनी बरसी त बळीयाच.
2)।मृग-मीरुग येन नक्षत्र मा जादा तर खार बोयर होय जात सेत बिच को मीरुग न उतरतो मीरुग मा बरसात अच्छी रहे पायजे.
3) आदा़-अरदळा यन नक्षत्र मा बरसात जोरदार रहे पायजे तरा ,बोळी भरेव लाक सामने येव पानी फसल को काम मा आवसे.
4) पुनर्वसु-यन नक्षत्र मा बरसात थोळी कमी पन बिच बिच मा आये पायजे .
5) पुष्प-फुसपुंडरा यन नक्षत्र मा बरसात चढतो न उतरतो घनी अच्छीच पायजे.
6) आश्लेषा-यन नक्षत्र मा सही मा बरसात की जरुरत रवसे फसल तकरीबन लगायकर होय जासे.
7) मघा-यन नक्षत्र मा बरसात आई त समज लेव फसल रोग राई पासुन मुक्त.
8) पुर्वा-पुर्वा बरसेव न धान पाचरन लगेव कवसेत.
9) उत्तरा-उतरा यन नक्षत्र मा बरसात जादा जोर की नही पायजे नही त कमायव धमायव सपा वाया.
10) हस्त-हत्ती ,चढतो हत्ती मा न उतरतो हत्ती नक्षत्र मा बरसात पाहिजे पन बहुत जोरदार नही.
- प्रस्तुती: श्री अजयकुमार बिसेन
 संकलन: सौ. छाया सुरेंद्र पारधी 
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