माय दुय अक्षर
पर गहन से अर्थ।
वोक सामने सब
अक्षर सेती व्यर्थ।
(१)
माय आदमी को
सबसे पहिलो गुरू।
वोक बिना जीवन को
सफर नहीं होय सुरू।
(२)
माय से उन्हारो मा
थंडी थंडी साऊली।
बच्चाईन साथी माय
जसी विठ्ठू माऊली।
(३)
आदमी क् जीवन मा
माय मंदीर की मूर्ति।
करो वोकी सेवा सब
इच्छा की होये पूर्ति।
(४)
कोणी नाहाय जगमा
मायदून मोठो।
मायला कभी नोको
पड़न देव तोटो।
रचना- चिरंजीव बिसेन
गोंदिया।
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