Friday, June 12, 2020

आत्मविस्मृति munnalal rahangdale 001


                समाज संगठण क् द्वारा समाज को सर्वंकष विकास होन साठी कोशिश होय रही से. समाज बंधु खुटी उपाळ करन क बजाय सकारात्मक साथ देनो जरूरी नही त अती आवश्यक से.  
             आमरो इतिहास पराजय को इतिहास  नोहोय, सतत संघर्ष को इतिहास  आय.  पर,समाज जब-जब आपली गौरवशाली परंपरा भूल जासे, ओको विस्मरण होसे,तब-तब आपल समाज मा विद्यमान रव्हनेवाली, विद्या,कला, संगीत,  संस्कृती भुल जासे, तब-तब  समाज की अधोगती ,अवनती,  होसे. 
          ओको परिणाम   आमरो समाज अज भी सब बातमा मंग से, आमरो समाज अज भी,व्यक्तीगत  विकास का क्षेत्र सोडशारी क्षण भंगुर विकास क् मंग धाय रही से, जसो- राजकारण. जबवरी 20% राज कारण व 80% समाज कारण नही करत, तबवरी समाज को विकास नही होय सक.
           आमरो समाज समूह मा रव्ह से,पर संगठीत नाहाय.आमर समाज मा श्रेष्ठ धार्मिक अधिष्ठान, दिव्य संस्कृती, सुपीक जमीन,भगवान राम,भगवान श्रीकृष्ण, शिवाजी महाराज,  राजा भोज सारखा महान आदर्श राजा रयशारी भी भीरूता को भाव, साहस को अभाव, दुसरोको   तोंड देखनकी भावना, पनप रही से.समाज को विकास करन को रहे त्,  समाज की आत्मा जगावनो पड़े. इसतो (अग्नी) परा पडी राखड,आरसा पर पडी धुल गंदगी की सफायी करन की आवश्यकता हे.
                आत्म सम्मान, अस्तित्व की जाणीव करण साठी स्वामी विवेकानंद जी एक कहाणी हमेशा सांगत. 
          एक धनगर ला जंगल मा मेंढी चरावता चरावता सिंह को लहानसो बच्चा  भेटेव,दुय चार दिवस मेंढी लका दुर ठेयीस.ना मग  मेंढी क् करप मा सोड देयीस.सिंह को बच्चा    करप क् संग ,बसनो उठनो,जंगल मा चरण ला  जाय,मेंढी सारखो आवाज करत होतो.
        एक दिवस,  जंगल मा मेंढी चरत होती, सिंह आयेव, दुय मेंढी ला उठाय कर लिजात होतो,ओतमा ओकी नजर, सिंह क् पिल्ला पर पड़ी.ओक मनमा आयेव, यव सिंह को पिल्ला, मेंढी क् करप मा मेंढी क् संग  कायला खाल्या मान टाकशारी कसो चलसे. ?
  सिंह न् मेंढी ला सोडीस, सिंह क  बच्चा ला धरीस. सिंह न् खबर लेयीस "अरे तु कोण आस? सिंह को बच्चा घबराय गयेव, त् त्,फ् फ् करन लगेव,.सिंह न ओला तरा(जलाशय) जवळ लिजाइस,ओको चेहरा पानी मा देखाइस,"देख  तू सिंह आस? मेंढी कायला बन सेस?छाती तान,मान उची कर,व जोर लका गरज, "
           सिंह क बच्चा क ध्यान मा आयेव ,मी भी सिंह आव. आत्मग्लानी की भावना मर गयी, वीरत्व,पौरूष जागेव,  मी भी जंगल को राजा आव.
            तशीच परिस्थिती आमर समाज की भय गयी से.आम्ही अमृत का टुरा आजन,आम्ही राजा भोज का वंशज आजन, आमर मा मार्गदर्शन की ताकत से. येव भाव जगे पायजे.
                  समाज संगठण समाज मा जागृती निर्माण करन साठी,समाज मा आत्मगौरव ,आत्मसन्मान, की भावना निर्माण करण साठी,आत्मविस्मृति नष्ट करण साठी,  प्रयास रत , कटीबद्ध सेती. परिणाम सकारात्मक आय रह्या सेती 

           प्रा.मुन्ना रहांगडाले 
133, ओंकार नगर मानेवाडा रिंग रोड नागपूर

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