बहुत जन कसेती की भाऊ एक बात सांगुसु की संगत को जीवन मा बहुत असर पड़से जी चाहे उ घर शेजारी होय या मग खेत शेजारी l पर भाऊ अना बाई सांगुसु जी घर शेजारी/पडोसी (हिंदी) चांगलो रहे त आपरो ला बी बाटा जरासो बेस लगसे मोहल्ला मा कोनी घर को स्याग त काही सामान मगनो सांगनो चलत रवसे आमरो एक खेत (कन्हार) घर लक करिबन चार कोस पर रहे दुय बांधी सेत जी एक लहान बांधी ना एक मोठी बांधी अरधो एकर की एक ना दुय बांधी को आड पउण एकर की एक बांधी से आमरो धुरो को बाजू मा लगस्यारी कारू भाऊ की बांधी पेढी होन लगी पर कारू भाऊ की माय की आदत आबबी नही बदली बरसात रहो उन्हारो या मग थंडी का दिवस आमरी यसुका माय ला खेतमा जान की बहुत फुरतायी कारू भाऊ को अजी अना मोरा अजी पक्का एक मेक का संगी एक डाव की बात आय बोवार/बावत्या पेरत होता मोठी बांधी मा मिरुग लग गयव होतो कन्हार मा जादा पानी भयव त मग बोवार पेरणी नही होय अर्धोक आरी की जागा रही रहे बाव्हन की वॊन समय आमहृया कुमहार भाऊ महिणक्या होतो उ कसे बाबूजी ला काकाजी बाटा बीजायी का धान कम जायेत पानी ज्यादा आये कसो करबीन....मी धुरो पर धान फोकन कि टोपली लक आपरी डोसकी झाकेव मोरी बी अक्कल काम नही करीस... जाय बसेव बाबूर को झाड खाल्या..... ना पाणी चरो-चरो हवा तुफान... घर बी दूर धान आने बी त बटा कसो...बड़ो बी चार येसुका माय आपरो धुरो पर तोर परसा को झाड खाल्या लक सब देखत होती उनको बोवार/बावत्या सकार को जोर ला भय गयव होतो पोथंडी मा अर्धोक कुंडो सुवर्णा धान की बीजायी रही रहे,
यसुका माय ला चिंता भारी...मोरो बेटा कारू का कहे..पर दिल नही मानेव परात परात आई ना कसे ये.. कुंभारु धर ये धान ना फोक देव नही त पानी पाणी होय जाये बांधी मा परसोडी भाग मा पाणी जमा होय जासे l यसुका माय की सुझ बुझ समजदारी लक वोन दिवस बोवार/बावत्या भयव अना आमरो मन ला बहुत सुकून भेटेव तब बाबुजी न काहीन देख बेटा खेत शेजारी होना त यसुका माय सारखी बेटा...कारू भाऊ को परिवार संग भी असोच खेत शेजार पण ठेवजो आपरो जमानो मा मोरो डोरा मा...पानी ...हवं बाबूजी l
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प्रा.डाँ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगांव ता. जि. गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४
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