बरसात
तीन ऋतु माल् एक ऋतु आय बरसात,
थंडी, गर्मी अना तिसरो ऋतु आय बरसात.
गर्मी क् बादमा सबला रव्हसे बरसात को इंतजार,
गर्मी ल् मिलसे राहत, आवसे खुशी की बहार.
बरसात की रव्हसे खेतीला बहुत जरूरत,
किसान चातक वानी देखसे बरसात की सुरत.
भारत मा बारीश होसे केवल बरसात क् ऋतुमा,
बरसात मा बारीश नही भईत् सब मिलसे खाकमा.
खेती को काम सुरू होसे बरसात क् घातमा,
खार भरनो, प-हा लगावनो सब होसे बरसात मा.
मिरूग, अळदळा, फुक, फुंडरूस, असरका सब,
मघा, पूर्भा, उतरा, हत्ती आत बरसात का नक्षत्र.
अखाडी, जीवती, राखी, कानुबा, पोरा, गणेश,
सब त्योहार बी आवसेत अना सावन मा महेश.
छोटा बच्चा बी लेसेत बरसात को मजा मनपसंद,
पानी मा खेलनको, कागज की नाव चलावन को आनंद.
रचना - चिरंजीव बिसेन
गोंदिया
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