किसानी को दस्तुर
रिमझिम बरसात से न्यारी,
माटी की खुशबू से बहुत प्यारी ll
भाऊ आता मिरुग न बी लगाईस हाजरी,
आता करो मोहतुर की तैंयारी ll
खारी भरबिन, बोवार पेरबिन,
चल भाऊ अज मोहतुर करबिन ll
सब पोवार होय जावो तैयार, आयव आता खेती को त्यौहार ll
धरती माय की पूजा करबिन,
अन्नदायानी को ऋण खंडबिन ll
पोवार समाज की शान से,
खेती को दस्तूर मा मोहतुर को
मान से ll
जसो पोवारी भाषा बोल मधुर,
तसो जरूरी से करनो मोहतुर ll
करो पोवारी खेती का दस्तूर,
भेटे मान वंदना तुमला जरूर ll
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प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो. दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४
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