बरसात को मोसम
बरसात की पहली बारिश, सब को मन ला भावसे,
आय जासे हरियाली, जो सब को मन लुभावसे।।
सुखी पड़ी धरती, बरसात मा मुस्कुरावसे,
खेती किसानी वालो ला येनच दिन मा काम रवसे।।
हल चलावसे किसान खेत मा, बैल गाड़ी झीकसे,
मेंढक को टर-टर आवाज लक, जन-जन मा उमंग उठसे।।
बरसात को मोसम मा झर-झर पानी आवसे,
नदी-नाला होय जासेत तृप्त, धरती की प्यास बुझावसे।।
बरसात को मोसम मा,सबईतनी रवसे पानी,
बरसात लक बचन लाईक, सब लोक इनन आपरी छतरी तानीन।।
कारा बादल छाया देख मोर पंख फैलावसे,
मेंढक को टर-टर अन मोर को पंख लक प्रकृति मा सुंदरता अावसे।।
किसान इनको मनला बरसात को मोसम भावसे,
तबच या दुनिया खुशी लक रवसे।।
बिजली कड़कड़ासे, बादल गड़गड़ासे, सागरमा उठसे उफान,
सब होय जासेत दंग देखके प्रकृति को उफान।।
कु. कल्याणी पटले
दिघोरी, नागपुर
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