बरसात की घात
बरसात की का सांगु बात,अजबच रवसे येको घात,
कपड़ा वारे पाहिजे कयके रव से चिंता, भया काव काम करके घर लक चिल्लासे कुंता।।
घर सीवो,डोंगी लगावो पानी घरमा धरसे धार,
खेतमा पानी भरसे त बनावसेती पार।।
मोरया बरसादी की पडसे गरज,
परा लगवता लगावता गानाकी निकालसेती नवी नवी तर्ज।
चिखलमा आवसेे मजा परा लगावन,
अचार संग रोटी बन्यार संग रवन ।।
चीखल माका गेंडवर पायपर चग सेत्त, गुदगुदी लगसे त पाय झटकट भागसेत।।
बीजली को कड़कड़ाटलका लग से डर,
झोपडी मा परासेत अांग कापसे थर थर।
बरसात को पानी मा भरसेती गावका तलाव,
किसान कसे चल आता मोटर लगाव।।
बरसात होसे तब आव से किसान को जान मा जान,
पानी पड़से तबच पिकसेती खेत मा का धान।।
सौ. लता पटले
दिघोरी, नागपुर
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