ऋतू की महिमा
बारा महिना सालका
ऋतूकी महिमा और से।
रिम झिम बरसातकी
सबका ढोला भरदेसे।।
उंचो उंचो झाड़इनकी
महिमा काही और से।
वाफ समुद्रको पानीकी
धारला यहा आनसे।।
हिरव हिरव खेत की
विपुलता काही और से।
एक दाना लगावोत
हजार दाना करदेसे।।
बरसातमा नाला पानीकी
खड़ खड़ाट काही और से।
नदी नालामा पानीच पानी।
सजीव सुष्टी जन्म लेसे।।
बादरमा ढग आवनकी
बिजकि चमक काही और से।
ईंद्रधनुषका सात रंगहे
मनमा उत्साह भर देसे।।
निसर्गकी महीमा न्यारी
सुंदरता काही और से।
सबको संचालक सुर्य
उर्जा सजीवला देय देसे।।
वाय सी चौधरी
गोंदिया
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