बरसात
(धरती बारिश की राह देखती हुई)
बाट देखसु तोरी,
जेको संग मा जुड़ी सेत मोरो हॄदय की डोरी।
उनहारो मा तप गई सेव,
आयकर बुजाय दे तहान मोरी।
बहुत भयव यव बादर बदरी को खेल ,
बरस जाय आता वार रही सेत खारी।
बेटा तोरो (किसान) देख रही से बाट,
कब जुपु नांगर बख़्खर ना कब धरु पाथ।
तोरो परा टिकी से इनको जीवन की आस,
नही आए बरसात त ये होय जायेत ये उदास।
बरखा नही आए त धरा को मतलब कहाय,
तोरो बिना मोरो काही मोलच नहाय।
स्वाति तुरकर
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