Friday, July 10, 2020

बरसात chhaya pardhi

        बरसात

अवचित आयेव वू रुणझुणत
मृदंग वा ढगकी बजावत
रूप श्याम भयेव अंबर को
बिजली कड़कड़ कडकावत।।१।।

धूल्ला उडेव परकर धरके
खिडकी खटखट लगी बजन
जूही की बेल बड़ी शरमाई 
देखन बसी ढूक ढुक कन।।२।।

सज्ज भई अवनी प्रिया
बरसात को स्वागत करण
बुड़गो बड़ उभो खट रहेव
तरा भी सज्ज भयेव भरण।।३।।

आयेव आब टप टप पानी
जोरदार जलधारा बरसी
भिजेव धरनी को रूप सुंदर
सुगंध फुटेव अत्तर सरिसि।।४।।

पशु पक्षी सब हरसाया
अंकुर मातिला फुटेव
नवांकुर की नवी गाथा
कण कण ला हास्य फुटेव।।५।।

सौ छाया सुरेंद्र पारधी

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