महाराजा भोजदेव
मोरो खून मा बडो उबाल से
मोरो धार मा बसेव प्राण से
मोरी बोली मोरी पहचान से
मोरी अलबेली नगरी धार से
एक राजा होतो बडो विद्वान
संपूर्ण होतो ऊ शस्त्रकलामा
पारंगत भोज वेदोको ज्ञानमा
भक्त वूं लीन वांग्देवीको भक्तिमा
राजाभोज की राजधानी धारमा
मालवा की महाराणी वा शानमा
बड़ो शूरवीर महाप्रतापी शौर्यमा
कई राजाला धूल चटाईस रणमा
बहत्तर कलामा होतो पारंगत
चौरयाशी ग्रंथ को रचियता
भोजशाला सरस्वतीसदन बन्या
ज्ञान को प्रचार प्रसारमा
पंडित छिटपला होतो महाज्ञान
*कालिदास* उपाधि कोओला मान
रोहंतक बुद्दिसागर दुही बड़ा विद्वान
राजाको दरबार होतो नवरत्नों की खान
कर्णदेव न चालुक्य राजा भीम संग
करिस मालवा पर आक्रमण मंग
वृद्ध राजा घातक बीमारी होती संग हार गयेव लूट गयेव मालवा को रंग
सौ छाया सुरेंद्र पारधी
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