शहाणी माय
राजू : आईं आईं, कोन आय त बुडगी शहानी माय आई से ,बडी सुंदर से देखनला,,, मिठो बोलसे ,,,कोण आय त कजाने….. कनाय रही से….जोर लक
शेवंता : कोन आय त बेटा…. आऊसु मी,,,,बस कव उणला ,पाणी दे थंडो…
राजू : शहाणी माय बसो, खुरचीपरा ,,,,मोरी आई आवसे आब….
शेवंता : शहाणी माय मी ओरखेव नही तूमला,,,पर असो लगसे मी तुमला लहानपण पासून ओरखुसू…
शहानी माय : बेटी थोडोसो दम धर,, आपलो दिमाग पर जोर दे…. तुमरा कोनी धारा नगर मा रवत होता का बेटी.??
शेवंता : हो ,,शहाणी माय आमरा पूरखा धारा नगर लक इतन आया होता,,,,,वैनगंगा को किनारो पर. याहानिच खेती बाड़ी करीन ना यहां काच भय गया.
शहाणी माय : बराबर कयेस बेटी…..तुमि छेतीस कुर् का पोवार इतन बस गयात ,,,,,,,अखीन काई याद अावसे का बेटी???
शेवंता : हो शहाणी माय,,,,,, आमरी छेतिस कुर वालो की एक बोलीभाषा से……. पोवारी
शहाणी माय : आता ओरखेस बेटी मी कोण आव त…..
शेवंता : शहाणी माय,,,, ओरखेव आब,,,,,तुमि आमरी पोवारी माय आव….पर तुमरी हालत कसि भई माय…...की ओरखु नहीं आवो... तुमला इलाज की जरुरत से माय….
(....माय रोवसे……...)
शहाणी माय : हो बेटी,,,,,,आब मोरा टूरू सिक्या पढ्या ...पर आता मोला भुलन बस्या,, उनला शरम लगसे आब बोलनला…मुनआब मरणला टेकी सेव बेटी…..
शेवंता : नोको रोओ शहाणी माय …..आमी बचावबिन तूमला ,राजू इतन आव बेटा... जाय वय डाक्टर इतिहासकार,,, डाक्टर साहित्यकार,डॉक्टर,,,,,डॉक्टर उत्कर्ष ला बूलाव जल्दी,,, अना उनको संग काका,काकी सबला बुलाव
शहानी माय : तोला मोरो आसिर्वाद से बेटी,,,,,
सौ छाया सुरेंद्र पारधी
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