पोवारी सत्याग्रह
आब पोवारी सत्याग्रह करन कि आईं पारी
पवार न पोवार परा चलाईस कुटील कटारी।।
आमला नहीं लगी भनक *पोवारला* पवार करीन
एकताको नावपर पहचान मिटावनकी बाट धरिन।।
आमरो पुरखाईनं कभी पवार नही लिखिन कहीं
उधारीको नाव आमरोपर आबं होय रहीसे हावी।।
उनको कारनामा की सजा भुगत रहीसे पोवारी
जात करीन पवार त कसी रहे तूमरी पोवारी बोली।।
छत्तीस कुल वाला आमी वैनगंगा तटीय निवासी
चलो जागो आता मोरा पोवार भाऊ ना भगिनी।।
साहित्य अना उत्कर्ष की करो मिलके तयारी
भाषा को सृजन अना संवर्धनकी करबीन वारी।।
नवीन साहित्यसृजन की जत्रा भरे मंग यहानी
पोवारी सत्याग्रहला कलमकी धारदार वाणी।।
उबाल आमरॊ खून मा क्षत्रिय की या ललकारी
अमर होये पोवार ना अमर आमरी मिठी पोवारी।।
सौ. छाया सुरेंद्र पारधी
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