कोरोना को दिन की बात
आम्ही सब संग जेवन करन बस्या होता तब (लता) मीन कयो अवंदा कहीं जानो आवनों नहीं भयो,ना काहीं लेनो देनो भयो बस घर माच रह्या,
येकों परा कल्याणी को बाबुजी कसे का करबीनत अवंदा कोरोना गुन कमाई भी नहाय अना काम भी नहात,
मीन कयो (लता) मोला लगसे १०,२०, हजार रूपया रवतात मी नवा कपड़ा लेयके आनती, सब डाकता अना कहीं घूमन जाता,
तब कल्याणी का बाबुजी कसेत तु आब काहीं लेन देन को बार मा बिचारच नको करूस,
तब मी (लता) चुपचाप काम करन बसी. काम भयो पर बहार निकाली त का सांगु मला रोडपर २०००० हजार रूपया दिस्या, मी परात गई अना वय पैसा उठाय के आन्यो, मी बहुत खुश भय गई, मीन कयो पैसा ठेय देवू का?पर मीन सोच्यो इनला पैसा दिस्या त कहेती का ठेय दे, कमाई नहाय काम मा आयेती,
तब मीन सोच्यों चली जासु चुपचाप ना खरेदी करके आन लेसु मी गई अना सबसाठी कपड़ा लेयके अान्यो अना सबला कपड़ा डाकन लगायो, सब न नवा कपड़ा डाकीन सब नवा कपड़ा देखके खुश भय गया, सब नवा कपड़ा डाकके फोटो निकालन बस्या कोनी डोरा तीरपा करके, कोनी जीभ निकालके, कोनी दुय बोट देखायके फोटु निकालत होता,
फोटु निकालता निकालता जे हात मा लक मोबाइल पद्यो त मोरी झोपच उघड़ गई, देखुसु त का यो सब सपनच होतो काहीच सच नवतो.
सौ.लता पटले
दिघोरी, नागपुर
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