राखी
बहिण भाई मां बंधी से रेशम की दोरी
प्यार दुलारलक् शोभसे कलाई तोरी
नारेन पौर्णिमा तिथी नारेन् को अर्पण
समुंदर किनारोपर सद्भाव लक् समर्पण
दौपदी को बांधेव् धागा देव कृष्णला
संकटकाल मां जागेव् बहिन् बनी सबला
नारैन् पान करदोळा संग रक्षासूत्र कलाईमां
भाई देसे वचन् आऊ धावकन् संकटमां
राखी को डोर होये पाह्यजे पक्को वु
सैल ना होये बंधन खबरदारी लेत् जावु
माय देखसे कवतीक बांधत भारी राखी
बिचार मनमां करसे टुरो न् टुरी देखस्यानी
भाई नं बी ठेये पाह्यजे मान बहिन न् बी पान
टिके बंधन राखी को समृद्ध होये समाजजीवन
करू भाऊ संकल्प भाई बहिन् कं बिच प्रेम
खतम् करो गलत समज नमन् करू सप्रेम
रणदीप बिसेन
मु.कोराडी रोड,नागपूर
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