Monday, July 13, 2020

रोज की कहानी sharda chaudhary 01


             
                     रोज की कहानी
                  
रखमा:  अजी कहान गयात तं, आयक्यात का  मी का           सांगूसू तं.
रघु : जोर लक कायला  चिल्लासेस  तं, बयरा समजसेस का मोला ?
रखमा: का कहेव तं तुमला, एक दिवस चांगली गोष्टी नही सांगो.
रघु: मी का पागल सेव तोरो संग गोष्टी सांगनला?
रखमा: मी न असो कहा कहेव तं, तुमीच खुदला  पागल कसेव.
रघु: तोंड तं मार चलावसेस.
रखमा: मी तं तोंडच चलावुसू, तुमरो सारखा हाथ तं नही चलावू, दिवसभर मोबाइल पर चीपकेव रवनला पाहिजे पोवारी कविता लिखन साठी.
रघु: तं मंग तोरो पर लिखु कविता? मोठी अप्सराच सेस का नही.
रखमा: मीनं कहा कहेव तं मी अप्सरा सेव मनुन, पर तुमरो पेक्षा चार हाथ सरस सेव.
रघु: हे भगवान! कोण येको तोंड ला लगे... शेरी वानी चर चर कातंसे.
रखमा: तुम्ही बी काही कमी नाहाव, हिंडसेव रोज मरद-माना को संगं, बाई को नाव बदनाम से,  पर कमी गोष्टी नही सांगत मरद माना.
रघु: कोण तोरो तोंड ला पुरे... जान दे.सांग का सांगत होतीस तं.
रखमा: आता आयात नही रस्ता पर. मी कहेव आपलो बिह्या लगाइतीस वू पंडित मरेव मनुन सांगं सेती.
रघु: अच्छो भयेव बटा मरेव तं, आपलो करम का फल भोगीस वोनं.
रखमा: कोण घडी मा येको संग नसीब को पाला पडेव तं कोण जाणे!  या रोजकीच कहानी बन गयी से.【रखमा डोक्सा पर हात मारस्यान उगी-मुगी रय गयी】

     शारदा चौधरी
     भंडारा

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