लाक्तखाड़ को बिह्या
लाक्तखाड़ मा बिह्या करणो पड़ गयव बाबा भारी,
पाणी बरस रही से असो ,
पानी पानी आई मांङोधरी।
हरद चढाइन देवहिनला,
धरस्यार मोरया मोरी।
डेकोरेसन होये कसो ,
लगाया तप्पड़ ना ताटपतरी।
तेल चढ़ाया,हरद भई,अहेर पड्या,
आता से बरात की बारी।
नवरदेव आयव फाटक पर ना,
पानी न लगाय देइस झडी।
छत्ता धरकर बिह्या लगयव,
भीजगया नवरदेव नवरी।
बिह्या लग्यव ना पानी परायव,
बिदाई भई दुसरो दिवस सकारी।
लाक्तखाड़ मा बिह्या करणो पड़ गयव बाबा भारी।
स्वाति तुरकर
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