Friday, July 3, 2020

लाख्तखाड Y .C. Chaudhary 16


लाक्तखाड

आयो खेती को हंगाम,भयी तिज आता।
जाय ग्रीष्मकी गरमी,बरसात आय आता।।

जुपो खातकी डाली,खरफड़ा करो आता।
मोड़ो तोरका तुराटा ,कचरा पेटावो आता।।

घरकी करो डागडुजी , बरसातकं पहिले।
घरपर सावो कवेलु ,पानी आवनकं पहिले।।

बरसातमा लंबी झड़,अस्वस्त करदेसे।
सब सजीव सृष्टी, अती वृष्टीलं मरजासे।।

पपिहाकी कुक जाहे,जब बसंत न आये।
तबतक लाक्तखाड़की ,महिमा या धरती गाये

ऋत्तूचक्र एक बरसको, बदलाव सब होसे।
नवजीवन सृष्टीको ,दृष्टि मा समाय जासे।।

वाय सी चौधरी
गोंदिया

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