भगवान कृष्णकी आरती
आरती कानोबा की, देवकीक् बेटा की
विष्णुजी को अवतार, खुशी बढी गोकुलकी,
आरती कानोबाकी।। धृ।।
देवा तोरो बचपन, खुश भयोव वृंदावन
अगाध तोरी लिला, तोला साथ गोपिकाकी
आरती कानोबाकी।। १।।
बासुरीको तुच धनी, राधा बासुरी दिवानी
सबको तोला हित, तोला चिंता भक्त की,
आरती कानोबाकी।। २।।
अघासुर नरकासुर, असा मारेस असुर
पुतनाला मारेस देवा, हत्या करेस कंसकी
आरती कानोबाकी।। ३।।
धर्म साती लढेस देवा, द्रौपदीन करीस धावा
धावकन गयेस देवा, लाज राखेस द्रोपदी की
आरती कानोबाकी।। ४।।
नही मानेव दुर्योधन, वको भयोव पतन
अर्जुन को तुच साथी, जीत भयी पांडवकी
आरती कानोबाकी।। ५।।
भक्त कसे देवा तोला, कसे जय नंदलाला
धावत आव देवा, लाज राख भक्त की
आरती कानोबाकी।। ६।।
बोलो कृष्ण भगवान की जय
***
✍ डॉ. शेखराम परसराम येळेकर नागपूर दि १२/८/२०२०
अग्निवंशीय पोवार(पँवार) क्षत्रिय समाज के इतिहास, संस्कृति और पोवारी बोली के साहित्य के प्रकाशन हेतु यह ब्लॉग बनाया गया है। पोवारी संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन इसका मुख्य उद्देश्य है। जय माँ गढ़कालिका जय पोवार(पँवार), जय पोवारी
Saturday, August 15, 2020
भगवान कृष्णकी पोवारी आरती
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