मालवा से नगरधन(रामटेक) आकर वैनगंगा क्षेत्र
में बसने वाले ३६ कुर के पंवार पोवार क्षत्रिय
मालवा से नगरधन(रामटेक) आकर वैनगंगा क्षेत्र में बसने वाले ३६ कुर के पंवार पोवार समाज के ऐतिहासक पहचान की खोज के लिए मालवा से शुरुवात करनी होगी. भाट, समाज की वंशावली लिखा करते थे और उन्होंने हमारे समाज के विभिन्न कुरों के सन्दर्भ में लिखा की ये मालवा से आये अग्निवंशीय परमार क्षत्रिय है जो सर्वप्रथम नगरधन मेंआकर रुके और फिर उसके बाद पूर्व में वैनगंगा क्षेत्र के आसपास आकर बस गए .हमारे पूर्वज भी कहते हैं की हमारे पूर्वज धारानगरी से इधर आये और महाराजा भोज के वंश से हैं.
ब्रिटिश दस्तावेज, शासकीय गैज़ेट और सामाजिक इतिहासकारों के अनुसार विदर्भ क्षेत्र में पंवारो का आगमन १८ सदी के प्रारम्भिक वर्षो में हुआ और मराठा काल में उनकी सैन्य भागीदारी थी. कटक युद्ध में में विजय के उपरांत वैनगंगा क्षेत्र पोवारों को प्राप्त हुए और वे स्थायी रूप से ही बस गए. मराठों की सेना में शामिल विभिन्न ३६ क्षत्रिय कुलों एक संघ की तरह पंवार पोवार वंश में शामिल थे और उनकी विशिष्ट संस्कृति और बोली पोवारी थी.
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