पोवारो के प्रथम संघटना का उदय काल सन 1905
पंवार/पोवार जाति सुधारणी सभा
उपलब्ध जानकारी से यह ज्ञात होता है कि पोवार जन समुदाय में सामाजिक जन जागरण की सामूहिक प्रक्रिया बीसवीं शताब्दी के पदार्पण के साथ प्रारंभ हुई। इस प्रारंभिक जन आंदोलन के प्रणेता, जन्मदाता के रूप में अग्रणी थे स्वर्गीय श्री चतुर्भुज पंवार, प्रधानाध्यापक , चरेगांव, जिला बालाघाट तथा साथ में कुछ गणमान्य महानुभावों ने सन 1905 मे पंवार जाति की प्रथम सामाजिक संस्था " पंवार जाति सुधारनी सभा " का गठन किया था। पंवार जाति सुधानी सभा का विधान स्व. श्री चतुर्भुज पंवार हेड मास्टर चरेगांव ने तैयार कर प्रथम महासभा में चर्चा हेतु रखा गया था।
सभा का कार्यक्षेत्र भंडारा, बालाघाट तथा सिवनी जिला की जातीय जनसमुदाय तक सीमित था। संगठन का संपूर्ण संचालन महासमिति करती थी। पांचवी आम सभा का आयोजन दिनांक 25 जनवरी 1910 को सिहारपाठ, बैहर की पहाड़ी पर स्व. श्री चतुर्भुज पंवार द्वारा, स्व. श्री गोपाल पटेल बिसेन कंजई जिला बालाघाट की अध्यक्षता में किया गया था। इसी तरह सीयारपाट पर लगातार तीन वर्षों तक आम सभा होती रही एवं पंवार श्रीराम मंदिर की निर्मिती सन 1913 में हुई।
पंवार जाति सुधारनी सभा द्वारा दिनांक 25 , 27 जनवरी 1913 को गर्राघाट जिला बालाघाट मे संपन्न आम सभा के प्रकाशित कार्यवृत्त से यह प्रतीत होता है कि शायद यहां प्रकाशन के प्रथम सामाजिक दस्तावेज रहे होंगे। जिसे पंवार जाति सुधारनी सभा के सचिव श्री चतुर्भुज पंवार द्वारा वैनगंगा प्रेस बालाघाट से मुद्रित कर प्रकाशित किया गया था। इस दस्तावेज के अनुसार यह आमसभा आठवीं थी। पंवार जाति सुधारनी सभा द्वारा बनाए गए नियम, आम सभा में पारित प्रस्ताव , वार्षिक आय-व्यय लेखा तथा अध्यक्ष एवं अन्य महानुभाव के भाषणों को अंकित किया गया है। पारित प्रस्ताव में सामाजिक उत्थान की दिशा में शिक्षा का प्रचार ही प्रथम उद्देश्य झलकता है ।
संकलनकर्ता
राजेश हरिकिशन बिसेन
जवाहरनगर भंडारा
9420865624
मार्फत: पंवार समाज दर्शन
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